उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड के एक साल बाद भी इलाके में दहशत: 20 में से 18 दुकानें बंद
उदयपुर (राजस्थान/मुकेश मेनारिया)
भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के जागरूक नागरिक 28 जून 2022 की उस घटना को नहीं भूले होंगे, जिसमें राजस्थान के उदयपुर के मालदास स्ट्रीट बाजार की भूत महल वाली गली में कन्हैयालाल टेलर की गर्दन तालिबानी अंदाज में काट दी गई। तब देश भर में सिर तन से जुदा के नारे लग रहे थे। देश भर में गर्दन काटने की पहली घटना उदयपुर में ही हुई थी। मुख्य आरोपी रियाज अतार और सहयोगी गौस मोहम्मद अब जेल में है, लेकिन एक वर्ष बाद भी उदयपुर के मालदास स्ट्रीट बाजार का माहौल सामान्य नहीं हो पाया है। गर्दन काटने की घटना के एक वर्ष पूरा होने पर जारी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 300 दुकानों वाले बाजार में सन्नाटा पसरा है। यंू तो अधिकांश दुकानें बंद रहती हैं, लेकिन जो दुकानें खुलती हैं वे भी सूरज ढलने से पहल पहले बंद हो जाती हैं। कन्हैयालाल टेलर वाली भूत महल गली में 20 दुकानें थी, इनमें से मात्र दो दुकानें ही खुलती है। कन्हैयालाल की जिस बेरहमी से गर्दन काटी, उसका असर एक वर्ष बाद आज भी साफ देखने को मिल रहा है। माहौल इतना दहशत भरा है कि कन्हैयालाल वाली घटना पर बात करने से डर लगता है। घटना के समय गंभीर बात तो यह थी कि गर्दन काटने का वीडियो भी पूरी प्लानिंग से बनाया गया। तब इससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया था।
जमीनी हकीकत उदयपुर आकर देंखे
जो राजनेता, बुद्धिजीवी और कलाकार बार बार भारत में विशेष समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंता प्रकट करते हैं, उन्हें राजस्थान के उदयपुर आकर जमीनी हकीकत देखनी चाहिए। राजस्थान में अभी पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश जैसे हालात नहीं बने हैं, लेकिन उदयपुर का मालदास स्ट्रीट बाजार का माहौल बहुत कुछ कह रहा है। चिंता प्रकट करने वाले लोग उदयपुर आकर देखें कि कौन सा वर्ग दहशत में है। यदि एक वर्ष बाद भी गर्दन कटने की दहशत खत्म न हो तो फिर हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। दिल्ली में बैठ कर राजनेता कुछ भी बयान दे दें, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है।
36 कौमों का प्यार
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दावा करते हैं कि उन्हें 36 कौमों का प्यार मिलता है, इसलिए तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। सवाल उठता है कि उदयपुर में 36 कौमों का प्यार कहा चला गया। आखिर सीएम गहलोत मालदास स्ट्रीट बाजार में दहशत के माहौल को खत्म क्यों नहीं करवाते। बाजार में भयमुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री की है। एक साल बाद भी उदयपुर में तनाव और दहशत का माहौल हिन्दू-मुस्लिम भाई चारे के झंडाबरदारों पर भी सवाल उठता है। रोजा इफ्तार की दावतों में भी भाई चारे के दावे किए जाते हैं, लेकिन उदयपुर में ऐसा भाई चारा देखने को नहीं मिल रहा है। सवाल उठता है कि उदयपुर में भाई चारा कहां चला गया है? इतना ही नहीं जिन दो युवक शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह ने कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को पकड़वाने में पुलिस की मदद की, वे दोनों युवक भी दहशत में जी रहे हैं। दोनों युवकों ने क्षेत्रीय विधायक सुदर्शन सिंह रावत से लेकर मुख्यमंत्री तक से सुरक्षा की गुहार लगाई है, लेकिन दोनों युवकों को हथियार रखने का लाइसेंस तक नहीं मिल रहा। 29 जून 2022 को जब हत्यारों को पकड़वाया था, तब शक्ति सिंह प्रहलाद सिंह की बहादुरी की सभी ने प्रशंसा की थी, लेकिन इन दोनों युवकों की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं कर रहा है।
इंसाफ का इंतजार कर रही कन्हैयालाल की अस्थियां
एक साल भी कन्हैयालाल के हत्यारों को सजा नहीं मिली है। कन्हैया का बड़े बेटे यश ने कसम ली है जब तक उसके पिता के हत्यारों को फांसी नहीं हो जाती, तब तक वह ना तो बाल कटाएगा और पांव में चप्पल पहनेगा। पिताजी की अस्थियों को भी वह हत्यारों को सजा होने के बाद ही विसर्जित करेंगे। यश कहता है कि फास्ट ट्रेक कोर्ट का मतलब क्या है, जब एक साल बाद भी उनको न्याय नहीं मिला। परिजनों का कहना है कि उनके परिवार की मुश्किल इतनी बढ़ गई है कि अब उन्हें कहीं भी जाना होता है तो पुलिस से इजाजत लेनी पड़ती है। कन्हैया के दोनों बेटों को राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी दे दी लेकिन उन्हें छोड़ने और लाने के लिए हमेशा दो गनमैन साथ होते हैं।
कन्हैयालाल की पत्नी जसोदा बताती है कि उनका जीवन अब सामान्य नहीं रहा। अब रिश्तेदार भी उनके घर आने से घबराते हैं। दूर के रिश्तेदारों और मित्रों ने आना छोड़ दिया। वह कहती है कि जिस नुपूर शर्मा के बयान को लेकर उनके पति की हत्या कर दी, वह खुद तो बाहर खुली घूम रही है और उनके पति ने कुछ नहीं बोला, उनकी निर्मंम हत्या कर दी और हम कैद हैं।