स्वस्थ्य जीवनशैली का सूत्र: नाश्ते और भोजन में बदलाव से अधिकांश बीमारियों से पाई जा सकती है मुक्ति - खंडेलवाल
हार्मनी बढ़ाने के किए गए भावपूर्ण प्रयोगों से शिविर मे सभी के नेत्र हो उठे सजल
सिरोही (राजस्थान/ रमेश सुथार) मुख्यालय के लिए ऐसा पहला सुखद अनुभूति वाला शिविर था जिसमे नृत्य के माध्यम से शरीर की नसों नाड़ियों को खोलने और उनमें हलचल पैदा करने की युक्ति बतायी गई। साथ ही नाभि झटका, ताली बजाने,ताड़ासन,सिर थपथपाने के प्रयोग करवाकर अपनी इम्मयूनिटी बढ़ाने,रोग मुक्त होने और दुश्वारियों से लोहा लेने के गुर सिखाए गए।
परम आलय द्वारा प्रेरित इंदौर के सन टू ह्यूमन मिशन के तत्वावधान में स्थानीय खण्डेलवाल छात्रावास मे दो दिवसीय निःशुल्क नए दृष्टिकोण वाले शिविर का संचालन करते हुए प्रशिक्षक कन्हैयालाल खंडेलवाल ने मनुष्य की चेतना के विकास के आधारभूत तत्वों को सरल सरल प्रयोगों के माध्यम से समझाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपनी शिक्षा में एबीसी सीखे बिना आगे नही बढ़ सकते उसी तरह मन और चेतना की गहराइयों में जाना हो या भले ही भौतिक प्रगति करनी हो
सबसे पहले शरीर की रचना , आवश्यकता और उसके तत्वों को ही समझना होगा। शरीर के स्वस्थ्य रहने पर ही किसी भी दिशा में आगे बढ़ पाएंगे और यह सही आहार, सही व्ययाम और सही नींद से ही संभव हो सकता है। कहा कि दवाइयां और अस्पताल केवल बीमारी को अस्थाई रूप से ही ठीक कर सकते है। वे स्वास्थ्य प्रदान नही कर सकते।
खंडेलवाल ने अपने स्वय में आए बदलाव के अनुभव बताते हुए कहा कि डायबिटीज, ह्रदय रोग, मोटापा आदि से मुक्ति केवल भोजन और नाश्ते में बदलाव से मिली है। शिविर के दूसरे दिन मां वैदेही द्वारा परिवार की हार्मनी बढ़ाने वाले करवाए गए कुछ भाव पूर्ण प्रयोगों से शिविर में उपस्थित हर एक की आंखे सजल हो उठी। वही नृत्य आदि के प्रयोगों ने लोगों में स्फूर्ति और आनंद का संचार किया।
इस दो दिवसीय शिविर में सभी साधकों को एल्केलाइन नाश्ता भी दिया गया। इस एल्केलाइन नाश्ते के फायदे भी बताए गए। शिविर समापन के अवसर पर आयोजन समिति के सदस्यों दिलीप खंडेलवाल, राजेंद्रसिंह नरूका, जीवराज खंडेलवाल, लोकेश खंडेलवाल, के साथ ही गुरुकुलम के कैलाश जोशी, गणपतसिंह देवड़ा, खंडेलवाल समाज के अध्यक्ष भगवतीप्रसाद खंडेलवाल, पूर्व अध्यक्ष कैलाश खंडेलवाल आदि ने इस शिविर की उपादेयता और सार्थकता रेखांकित करते हुए युवा पीढ़ी के लिए ऐसे आयोजन की बार बार आवश्यकता जताई।