हेण्डपम्प घोटाला: पेयजल आपूर्ति सहित ग्राम विकास के नाम पर सिर्फ धोखा, डकार रहे हैं लाखों रुपए
पंचायत राज में जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का होता है खेल, कागजों में लगाए हैड पम्प- मौके पर मात्र गड्ढे खोद औपचारिकता पूरी की उठाया भुगतान। ग्रामीणों द्वारा शिकायतों के बाद जांच कमेटी गठित कर केशव औपचारिकता पूरी की गई।
रामगढ़, अलवर
पंचायती राज में जहां एक ओर राज्य सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को पीने के पानी की समुचित आपूर्ति हेतु प्रयासरत है , वही जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आ रही है । ऐसा ही एक मामला रामगढ पंचायत समिति अंतर्गत ग्राम पंचायत चीड़वा में देखने को मिला है । यहां लाखों रुपए की लागत का से हैडपंप केवल कागजों में लगकर सिमट गए।
गौरतलब है कि ग्राम पंचायत चीड़वा के पिछले कार्य काल सत्र2015-19 में पंचायत के विभिन्न गांवों ,बस्तियों व ढाणियों में जल आपूर्ति हेतु अनेकों हैड पंप स्थापित करने के लिए लाखों का बजट आवंटित हुआ। उनमें से बहुत से हैडपंप कागजों में ही लग कर सिमट गए जबकि धरातल पर उनका कोई वजूद नहीं मिला। कुछ को मात्र 6-7 फुट का गड्ढा खोद केवल दिखावे के लिए ढांचा खड़ा कर दिया तो कहीं स्थिति यह है कि कुछ हैडपंप अपने चहेतों के निजी उपयोग के लाभ हेतु लगा दिए गए। जो हैडपंप कागजों में लगाए गए व अधूरे स्थापित हुए उनकी बजट राशि को अधिकारियों से मिलीभगत कर जनप्रतिनिधियों ने ठिकाने लगा दिया ।अंततः आमजन को पेयजल किल्लत के साथ सिर्फ मायूसी का सामना करना पड़ा रहा है। यह मामला केवल पिछले कार्यकाल का ही नहीं बल्कि इस कार्यकाल में भी स्थिति यही है।
शिकायतों के बावजूद भी खानापूर्ति में सिमटे अधिकारी। एक वर्ष पूर्व जांच कमेटी बना दी लेकिन भ्रष्टाचार और राजनैतिक दबाव के चलते बिना जांच कमेठी भंग कर दी।
उसके बाद इस मामले में उप प्रधान अतर सिंह सैनी और पंचायत समिति सदस्य सुनील द्वारा साधारण सभा की बैठक में आपत्ति दर्ज कराने और बार बार आरटीआई में सूचना मांगने के बाद हैंडपम्पों के सत्यापन हेतु पंचायत समिति के विकास अधिकारी रामदयाल वर्मा द्वारा गत 2 दिसंबर 2022 को पुनः एक जांच कमेटी का गठन किया गया, परंतु राजनीतिक दबाव के चलते जांच केवल कागजों में सिमट कर रह गई। आज तक कोई जांच नहीं की गई।
सहायक अभियंता तारा चंद वर्मा से बात करनी चाही तो कहा कि विकास अधिकारी से बात करो। विकास अधिकारी ने फोन पर स्वयं को फिल्ड में होने की बात बताते हुए कहा कि जांच करवाऐंगे।