मानव सेवा इंसान का सबसे बड़ा धर्म - बालकदास
वैर (भरतपुर,राजस्थान/ कौशलेंद्र दत्तात्रेय) सिद्ध पुरुष रंगी भगत जी की जन्मस्थली तथा तपोभूमि टुंडपुरा स्थित गुरुमाया आश्रम पर संत सम्मेलन में बोलते हुए ब्रज अंचल के राष्ट्रीय संत श्री बालकदास महाराज ने कहा कि मानव एवं मूकबधिर प्राणियों की सेवा इंसान का सबसे बड़ा धर्म है। जो इंसान निस्वार्थ भाव और बिना लोभ से इनकी सेवा करता है । वह प्रभु का सबसे बड़ा भक्त और सेवक होता है। उन्होंने कहा पीले और भगवा वस्त्र पहनने से साधु नहीं बन सकते साधु बनने के लिए क्रोध, लोभ ,मोह, लालच का त्याग करना चाहिए। उन्होने कहा कि जिस इंसान में यह लक्षण नजर नहीं आते वह इंसान ही संत होता है। संत हमेशा स्वयं के लिए नही,अन्य इंसान के लिए, देश के लिए ,समाज के लिए तप करते हैं।उन्होंने कहा की इंसान को और संत को देश व समाज के कल्याण भावना रख निस्वार्थ भाव से अर्पित रहना चाहिए। सम्मेलन में मथुरा के सन्त नयनदास,अयोध्या के सन्त रामदास ,गोवर्धन के सन्त मोहनगिरी , टुंडपुरा के सन्त साधु बाबा आदि संतो ने संत एवं मानव कल्याण और मूक बधिर प्राणियों की सेवा प्रवचन किए।