महंगाई राहत शिविर की पहले ही दिन उड़ी धज्जियां: अधिकारी-कर्मचारी मिले नदारद जरूरतमंदों को नहीं मिला लाभ, पहुंचने वाले लौटे बैरंग
अलवर (राजस्थान) राज्य सरकार की तरफ से गरीब और जरूरतमंद जनता के लिए आज से लगाए गए महंगाई राहत शिविर औपचारिक बन कर रह गए। शिविर को फसल बनाने के लिए जिन अधिकारियों और कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई, वे शिविर स्थल से ही गायब हो गए। दूर दराज से उम्मीद लगाकर शिविर पाण्डाल तक पहुंची महिलाओं को निराश होकर बैरंग ही लौटना पड़ा। ताज्जुब यह है कि शिविर को सफल बनाने के लिए जिन कांग्रेसी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को मॉनिटरिंग और जरूरतमंद जनता का सहयोग देने का दायित्व दिया गया, वे भी शिविर से नदारद रहे।शिविर के सफल संचालन और आमजन को शिविर का लाभ दिलाने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने हाल में कांग्रेसी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की दो दफे मीटिंग आमंत्रित कर आमजन का सहयोग देने की नसीहत दी थी,लेकिन लगता है इन मीटिंगों में पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के आव्हान को सभी कांग्रेसियों ने हवा हवाई कर दिया।दरअसल सरकार और जिला प्रशासन का आंकलन था और मानना था कि सामान्य चिकित्सालय में जरूरतमंद और अहसाय लोग ही अपना इलाज कराने पहुंचते है,जहाँ महंगाई राहत शिविर लगाने से जरूरतमंदों को शिविर में पहुंचने से जहां राहत कैम्प का लाभ मिलेगा वही शिविर का व्यापक प्रचार प्रसार भी होगा,लेकिन प्रशासन की सोच को तब तगड़ा झटका लगा जहाँ महंगाई राहत शिविर में टेंट और पानी के कैम्पर के अलावा एक भी अधिकारी और कर्मचारी मौके पर नहीं मिला।बेशक शिविर का लाभ लेने के लिए जरूरतमंद महिलाएं और पुरुष शिविर में अवश्य पहुंचे, लेकिन शिविर के टेंट को खाली देखकर उनके पैरों से जमीन खिसक गई और उन्हें निराश होकर ही वापस अपने घर प्रशासन को कोसते हुए लौटना पड़ा।
असल में जिला प्रशासन ने अलवर शहर के अन्य स्थानों के साथ बिजली घर चौराहे के पास स्थित राजीव गांधी सामान्य चिकित्सालय के मुख्य गेट में घुसते ही लेफ्ट हेड की तरफ बड़ी उम्मीदों के साथ महंगाई राहत शिविर लगाया।यह शिविर कितने बजे शुरू हुआ इसकी जानकारी तो नहीं मिल सकी,लेकिन दिन के डेढ़ बजे से इस महंगाई राहत शिविर में सन्नाटा पसरा रहा। शिविर में एक भी कर्मचारी या अधिकारी जरूरतमंद लोगों को नहीं मिला। जिसके कारण अलवर शहर के दूर दराज स्थानों से आई महिलाओं और पुरुषों को काफी निराशा हाथ लगी।महिलाएं अस्पताल में जानकारी लेती भी मिली कि शिविर के अधिकारी और कर्मचारी कहा है, लेकिन उनको कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।आखिर माथे पर पसीने टपकाते और मायूस चेहरा लेकर वो वापस अपने घर लौट गई। महिलाओं का कहना था कि शिविर में पहुंचने से उनका ऑटो का किराया भी व्यर्थ हो गया।बहरहाल सरकारी की योजना राहत महंगाई शिविर को सफल बनाकर आमजन को राहत दिलाने की जिन अधिकारियों और कर्मचारियों सहित कांग्रेसियों को जिम्मेदारी दी गई वे ही सरकार की इस योजना को पतीला लगाने में है।आज शिविर का प्रथम दिन था।यह भविष्य के गर्भ में छिपा है कि आगे लगने वाले महंगाई राहत शिविर से जरूरतमंद लोगों को सम्पूर्ण लाभ मिलेगा या नहीं।
- राजीव श्रीवास्तव