गोविन्दगढ़ में लेक्चरर की नियुक्ति को लेकर नेताओं ने दिए झूठे आश्वासन , विद्यार्थियों ने 6 अक्टूबर से की तालाबंदी की चेतावनी
गोविन्दगढ़ कस्बे में महाविद्यालय वर्ष 1998 मैं खुला लेकिन कॉलेज के पीजी हो जाने के बाद भी आज तक सभी लेक्चरो की नियुक्ति नहीं होने से विद्यार्थियों को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है गौरतलब है कि 16 जुलाई 2018 को विद्यार्थी कॉलेज का ताला बंद कर भूख हड़ताल पर बैठे थे और नेताओं ने वहां पहुंचकर जल्द ही लेक्चरर की नियुक्ति का आश्वासन भी दिया था। लेकिन कॉलेज में 16 लेक्चरर के पद पर केवल तीन ही लेक्चरर नियुक्त है
गोविंदगढ़, अलवर(अमित खेड़ापति)
गोविंदगढ़ कस्बे स्थित राजकीय महाविद्यालय वर्ष 1998 में प्रारंभ हुआ और आज महाविद्यालय को लगभग 24 वर्ष हो चुके हैं लेकिन महाविद्यालय में लेक्चरर की कमी को सरकार के द्वारा अभी तक पूरा नहीं किया गया है वर्ष 2018 में विद्यार्थियों के द्वारा आंदोलन भी किया गया था जिसमें विद्यार्थियों के खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किए गए थे उस समय भाजपा की सरकार थी और उन्होंने भी महाविद्यालय में लेक्चरर की नियुक्ति के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया था और पूर्व विधायक जुबेर खान के द्वारा विद्यार्थियों को आश्वासन भी दिया गया था कि उनकी सरकार आने पर यहां पर लेक्चरर लगाए जाएंगे लेकिन कांग्रेस सरकार के आने के बाद मेवात विकास बोर्ड के चेयरमैन पद पर जुबेर खान आसीन है तब भी विद्यार्थियों की यह मांग पूरी नहीं हुई वही गोविंदगढ़ क्षेत्र की रसूखदार नेताओं ने स्वयं अपनी गारंटी लेते हुए जल्द ही लेक्चरर लगवाए जाने का आश्वासन दिया था और वह आश्वासन भी खोखले साबित हुए वह केवल वहां पर राजनीतिक रोटियां सेकने ही पहुंचे थे
16 जुलाई 2018 को लेक्चरर की नियुक्ति को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे विद्यार्थी
आज 1 अक्टूबर महाविद्यालय में प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए लगे हुए कंप्यूटर ऑपरेटर 2 क्लर्क 1 फोर्थ क्लास 2 का टेंडर भी समाप्त कर दिया गया हालात यह थे कि आज महाविद्यालय में प्राचार्य एवं लेक्चरर को कमरों की सफाई करनी पड़ी क्योंकि महाविद्यालय में स्टाफ मौजूद नहीं था
30 सितंबर को प्राचार्य सुनीता टंडन का रिटायरमेंट हो जाने के बाद अब प्राचार्य का पद भी खाली है और प्राचार्य ने अपने कार्यकाल में जब प्लेसमेंट एजेंसी का टेंडर मार्च के महीने में समाप्त हो गया था सिर्फ अपने फायदे के लिए टेंडर को 1 वर्ष के लिए आगे नहीं बढ़ाया और कुछ महीने के लिए टेंडर को आगे बढ़ाया स्वयं का कार्यकाल समाप्त होते ही टेंडर भी समाप्त हो गया और जिसका खामियाजा अब विद्यार्थी भूकतेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अर्थशास्त्र के प्रोफेसर प्रदीप कुमार महोलिया राजकीय महाविद्यालय राडावास में डेपुटेशन पर लगे हुए हैं जबकि उनकी सैलरी गोविंदगढ़ से दी जा रही है जिस कारण से गोविंदगढ़ कॉलेज में अर्थशास्त्र का लेक्चरर नहीं होने पर भी पद भरा हुआ है और यहां पर लेक्चरर नियुक्त नहीं हो पा रहा है लेकिन शिकायत करने के बाद भी सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है
वही कनिष्ठ लिपिक के पद पर तीन यहां पर लगाए गए हैं जो जोकि डेपुटेशन पर अन्य स्थानों पर लगाए हुए हैं यहां तक सहायक कर्मचारी भी डेपुटेशन पर कामां एवं सरवाड़ के महाविद्यालयों में लगाए गए हैं यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि राजनीतिक रसूख के चलते कर्मचारी अपना यहां से डेपुटेशन करा रहे हैं लेकिन जिस उद्देश्य से मेवात में सन 1998 में इस कॉलेज की स्थापना बच्चों की शिक्षा के लिए की गई थी वह सब निरर्थक साबित हो रही है
हैरत की बात तो यह है कि शिक्षा के अधिकार से यहां पर विद्यार्थियों को वंचित रखा जा रहा है सरकार के द्वारा जहां रामगढ़ और बड़ौदामेव में महाविद्यालय खोलकर वहां पर लेक्चरर की व्यवस्था कर दी गई वही 24 साल पुराने इस कॉलेज में लेक्चरर की आज तक व्यवस्था नहीं होने से बच्चों के भविष्य पर सवाल खड़े हुए हैं
विद्यार्थियों ने भी ताल ठोकते हुए कार्यवाहक प्राचार्य महेंद्र सिंह चौधरी को 6 अक्टूबर से महाविद्यालय में तालाबंदी की घोषणा कर दी है और महाविद्यालय में लेक्चरर लगाए जाने एवं डेपुटेशन और को समाप्त करने की मांग की है