मोहन सिंह आहलूवालिया का दुबई मे भारतीय संस्कृति का भाषण रुका
दुबई में 27 मार्च 2022 को मैजिस्टिक ग्लोबल इन्वेस्टर ग्रोथ समिट का आयोजन किया गया था जिसमें संयुक्त अरब अमीरात के राज्य उम्मा अल क्वेन के राजा शेख माजिद राशिद अल मुल्ला ने सीमावर्ती हरियाणा के पिन गांव निवासी मोहन सिंह आहलूवालिया जी को आमंत्रित किया गया था।
दिनांक 26 मार्च को भारत से मोहन सिंह आहलूवालिया जी अपने अपने खर्चे पर सुपुत्र मनुप्रिय और एक सहयोगी मोहित को साथ लेकर दुबई के लिए रवाना हो गए।, वहां पहुंच कर मोहन सिंह जी को उनके लेक्चर का टॉपिक दिया गया "एनिमल वेलफेयर एवं डेयरी इंडस्ट्री"।
सत्ताईस मार्च को मैजिस्टिक कंपनी प्रशासन की ओर से मिस्टर भट्टी और मिस हिना कुमार जी ने मोहन सिंह जी से पूछा कि आप अपने लेक्चर में क्या कहेंगे कृपया करके उसके बारे में बताएं।
मोहन सिंह जी ने गौपालन और भारतीय संस्कृति दर्शन के बारे में अपने विचार रखे उन्हें सुन कर मिस्टर भट्टी जी ने मोहन सिंह जिनसे कहा कि वे अपना लेक्चर लिखकर दे दें ताकि वे उस लेक्चर को प्रशासन से सेंसर करवा लेंगे। उसी रात सुबह ढाई बजे मैजिस्टिक कंपनी प्रशासन की ओर से मोहन सिंह जी को यह बताया गया कि दुबई प्रशासन ने लेक्चर को सेंसर कर दिया है और कल सुबह आपने संयुक्त अरब अमीरात के राज्य उम्मा अल क्वेन के राजा शेख माजिद राशिद अल मुल्ला के सामने अपना लेक्चर देना है।
अगले दिन जब लेक्चर्स हो रहे थे तो मोहन सिंह जी का लेक्चर ऐन मौके पर कैंसिल कर दिया गया। मोहन सिंह जी ने पता किया तो उन्हे बताया गया कि उनके लेक्चर में कुछ शब्द ऐसे हैं कि जो दुबई की संस्कृति से मेल नहीं खाते हैं। इसी लिए लेक्चर को कैंसिल किया गया है।
जब सभी लेक्चर समाप्त हो गए तो राजा के द्वारा सभी स्पीकर्स का सम्मान किया जा रहा था। राजा स्वयं गिफ्ट दे रहे थे। तभी डायस से मोहन सिंह आहलूवालिया जी का नाम पुकारा गया पहले तो मोहन सिंह जी नही उठे लेकिन जब कई बार नाम पुकारा गया तो मोहन सिंह जी उठे और राजा की तरफ बढ़े।
डायस पर मौजूद राजा के सहयोगी कबीर खान जी और अन्य सहयोगियों ने मोहन सिंह जी से पूछा कि आप कुछ कहना चाहते हैं तो मोहन सिंह जी नीचे खड़े होकर राजा को देखते हुए आमने सामने होकर कहा कि इस्लाम में हदीस के मुताबिक बिना मेहनत के कमाया हुआ धन और उपहार हराम होता है। इसीलिए चूंकि मैने अपना लेक्चर ही नही दिया है इसीलिए मैं राजा जी द्वारा दिया जा रहा उपहार ग्रहण नहीं कर सकता हूं। यह सुनकर वहां हड़कंप मच गया और राजा रूष्ट होकर सोफे पर बैठ गए और मोहन सिंह जी ने डायस पर खड़े होकर कहा कि मेरी दृष्टि में सृष्टि है और सृष्टि में प्रकृति है और प्रकृति ही मेरी संस्कृति है।
आपके लिए डेयरी इंडस्ट्री और एनिमल वेलफेयर का अर्थ पशुओं को पाल कर उसका मांस प्राप्त करना है जबकि मेरी संस्कृति में पशु को दूध के लिए पाला जाता है और पशु जब दूध देना बंद कर देता है तो उसे घर में ही बांधा जाता है और गाय को तो हम मां का दर्जा देते हैं।
इन बातों पर तो राजा के सहयोगी कबीर खान जी, मिस्टर भट्टी, मिस हिना कुमार और मिस्टर गगन बहुत भड़क गए और उन्होंने मोहन सिंह जी के बैठने का इशारा कर दिया और राजा का चूंकि मूड खराब हो चुका था तो उसने वहीं सोफे पर बैठे बैठे स्पीकर्स को गिफ्ट दिए और कार्यक्रम समाप्त हो गया।
रात को लगभग डेढ़ बजे के आस पास राजा के सहयोगी कबीर खान जी अपने साथ बीस पच्चीस लोगों को लेकर आए और डराने धमकाने लगे और बातचीत का आशय यह था कि राजा से जाकर माफी मांग लो अन्यथा मृत्युदंड का भी प्रावधान है हमारे यहां पर।
मोहन सिंह ने कबीर खान जी से कहा कि आप चाहते हैं कि मैं राजा से कहूं कि मेरे से गलती हो गई है। कबीर खान जी ने कहा हां।
तब मोहन सिंह ने कहा कि सुनिए कबीर खान जी हमारे देश के भगत सिंह जी , वीर हकीकत राय जी यदि एक बार कह देते कि गलती हो गई है तो हो सकता है कि उनकी जान भी बख्श दी जाती।
लेकिन यदि आप मुझे ऐसे अपराध केलिए माफी मांगने को कहेंगे तो मैने नही किया है तो मैं यह माफी नहीं मांगूंगा।
कबीरखान जी अपनी दाढ़ भींच कर चले गए और जाते जाते यह धमकी भी से गए कि अपना ख्याल रखना ऐसा ना हो कि कोई नॉन स्टेट एक्टर आपसे आन भिड़े।
मोहनसिंह ने होटल का बिल अपने खर्चे से भरा और एक दूसरे होटल में शिफ्ट हो गए।
दुबई में रहने वाले बिश्नोई समाज ने मोहन सिंह जी को अपने पास बुलाया और वहां और अन्य भारतीयों से भी उनकी वहां मुलाकात हुई।
कुछेक लोगों ने मोहन सिंह से कहां कि आप यहां से जल्द से जल्द निकल जाएं ताकि आपकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। तो मोहन सिंह जी ने कहा कि यदि मैं नियत तारीख से पहले निकल गया तो यह संदेश जाएगा कि मोहन सिंह डर गया।
31 मार्च 2022 को सुबह सात बजे दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचे और साढ़े ग्यारह बजे उनकी फ्लाइट दुबई से चल कर शाम चार बजे चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर पहुंची।
ग्वाला सरकार अपनी दुबई यात्रा में एक शब्द को इंटरनेशनल मीडिया के सामने स्थापित कर दिया कि मेरी दृष्टि में सृष्टि और सृष्टि में प्रकृति और प्रकृति में ही मेरी संस्कृति है और इसी में मैं भगवान का वास देखता हूं।