भैंस की मौत पर मचा बवाल: नवानिया फार्म हाऊस पर पशु चिकित्सको लगा लापरवाही का आरोप, पशुपालक नेअस्पताल को बताया हलाल खाना
उदयपुर (राजस्थान/ मुकेश मेनारिया) राजस्थान सरकार प्रदेश के पशुचिकित्सालयो व पशुविज्ञान केन्द्रो में पशुओ के लिए सम्पूर्ण चिकित्सा उपलब्ध करवाने के नाम पर करोडों रूपये खर्च कर विभिन्न प्रकार की योजनाए अमल में ला रही हैं । वही दुसरी तरफ उदयपुर जिले के वल्लभनगर उपखण्ड क्षैत्र के नवानिया स्थित पशुचिकित्सालय में चिकित्सको की लापरवाही से भींडर पंचायत समिति के निमडी निवासी पशु पालक मांगीलाल चौबीसा भेंस कि मौत हो गई।
चौबीसा ने बताया कि शुक्रवार को अपनी पत्नी मांगी बाई के साथ गर्भवती भैंस को पशु चिकित्सालय नवानिया लेकर आए। पशु पालक मांगी बाई ने मीडिया से रूबरू होते हुए बताया की भेंस को आपरा था जिससे भैंस का पेट फूल रहा था यहां आकर डॉक्टर को दिखाया तो इलाज चालू किया मगर रात को भेंस की तबीयत अचानक बिगड़ गई जिस पर मैने डॉक्टर साब को फोन किया तो डांटते हुए जवाब आया कि आपने चालीस बार फोन कर दिया है आज का इलाज हो गया है अब कल सुबह इलाज करेंगे। इस पर पशु पालक ने वापस फोन नहीं किया शनिवार सुबह करीब 5 बजे भैंस ने दम तोड़ दिया। पशु पालक का आरोप है कि चिकित्सकों की लापरवाही से मेरी भैंस मरी है। और चिकित्सालय को हलाल खाना बताया है जिस पर मीडिया ने चिकित्सा प्रभारी व अन्य चिकित्सकों से पूछना चाहा तो वह एक दूसरे पर ढोते हुए नजर आए। ऐसे में चिकित्सकों पर सवालिया निशान खड़ा होता है कि कहीं ना कहीं चिकित्सकों की लापरवाही सामने आती दिख रही है।
वर्षों से खराब पड़े हैं उपकरण- पशुचिकित्सालय संकुल नवानिया में पशुओं के लिए चिकित्सा संबंधित उपकरण तो लगे हुए है लेकिन पिछले कई वर्षो से उचित रखरखाव और अनदेखी के चलतें सही उपयोगी साबित नही हो रहे है। कहने को तो उपखण्ड मुख्यालय का सबसे बडा पशुचिकित्सालय और पशुविज्ञान केन्द्र है लेकिन यहां अनदेखी के कारण पशुओं को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नही हो पारही है। इसलिए इसका खामियाजा देखा जाए तो कहीं न कहीं पशुपालको को ही भुगतना पड रहा है।
मृत मवेशियों को ले जाने के लिए नहीं है सुविधा:- मिली जानकारी अनुसार मृत मवेशियों को ट्रैक्टर के पीछे बांधकर घसीटते हुए ले जाया जाता है।
संकुल में भर्ती पशुओ के पालको के लिए नही है ठहरने की व्यवस्था: पशुचिकित्सालय संकुल में कभी कभार गंभीर पशुओं को भर्ती करने की स्थिती के दौरान पशुपालको के लिए चिकित्सालय में ठहरने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने से पालकों को समस्या होती है। इस स्थिती में कई दिनों तक पशुओं के भर्ती रहने पर पशुपालकों को रात के समय चिकित्सालय के बाहर खुले में ही सोने के लिए विवश होना पडता है। ऐसे में संकुल के आस पास के गॉवों के पशुपालक तो रात के समय घर पर आ जाते है लेकिन दूर दूर के पशुपालको को तो चिकित्सालय के बाहर ही रात गुजारनी पडती है।
इन गॉवों से पशुपालक आते है उपचार करवाने- उपखण्ड मुख्यालय के सबसे बडे पशुचिकित्सालय संकुल में वल्लभनगर, नवानिया, करणपुर, भटेवर, महाराज की खेडी, करणपुर, दरौली, किकावास, रूण्डेडा, नेतावला, इंटाली, ढावा, ढिमडा, रणछोडपुरा, खेरोदा, खरसाण, मेनार, मोडी, बाठरडा, भंवरासिया और भीण्डर तक के पशुपालक पशुओ का उपचार करवाने आते है वही दूर दराज के गॉवों कसबो में मंगलवाड, निम्बाहेडा, नाथद्वारा, निकुंभ सहित कई जगहो से अश्व, भैंस पशुपालक आते है।