न्याणा में कब्रिस्तान-चारागाह के भूमि विवाद को लेकर तनाव,तहसीलदार को सौपा ज्ञापन
चारागाह की जमीन सरकारी है उसकी पैरवी सरकार को करनी चाहिए लेकिन विडम्बना है कि ग्रामीण उस जमीन को बचाने में लगे है। पूरा गांव वक्फ़ बोर्ड में तब्दील है जिसमे मामला कोर्ट में चल रहा है लेकिन प्रसासन दबाव में है क्षेत्र में लॉयन ऑडर की स्तिथि खराब होती है तो प्रसासन होगा जिम्मेदार -सुखवंत सिंह
गोविन्दगढ़ अलवर
गोविंदगढ़ कस्बे के निकटवर्ती गांव न्याना में कब्रिस्तान, चारागाह की जमीन पर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिसको लेकर न्याणा गांव के ग्रामीणों के द्वारा तहसीलदार विनोद कुमार मीणा को विवादित जमीन का इंतकाल नहीं खोले जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा।
न्याणा गांव के प्रमोद शर्मा ने बताया कि गांव के खसरा नंबर 501 चिरंजीलाल नामक व्यक्ति ने न्यायालय में रिट लगाई हुई है। और मामला वर्तमान में माननीय हाई कोर्ट की डबल बेंच में चल रहा है जिसमें सिंगल बेंच को इस मामले जल्द निस्तारण के लिए कहा गया है। भूमि विवाद यहां और भी इसलिए गहराता दिख रहा है क्योंकि इस गांव में आजादी के समय पाकिस्तान से आए हुए परिवारों को भारत सरकार के द्वारा बसाया गया था। और उस समय जिस भूमि पर विवाद है वहां मंदिर पूर्व में ही बना हुआ था अब आजादी से पूर्व के कागजों को लाकर यहां पर विवाद पनपाया जाने का आरोप लगाया जा रहा है आजादी के बाद सभी भूमि सरकार के अधीन थी और सरकार ने उस समय लोगों को जमीन का निर्धारण करते हुए उन्हें बसाया था जमाबंदी में भूमि चरागाह दर्ज है अब उस भूमि पर विवाद खड़ा कर कर यहां की शांति को भंग करने का प्रयास किया जा रहा है
ग्रामीणों का कहना है कि जमीन चारागाह भूमि की है जिसमे मन्दिर,विद्यालय, डिस्पेंसरी बनी हुई है लेकिन कब्रिस्तान के पक्ष कार इलियास खान का कहना है कि जगह कब्रिस्तान की है इसी बात का विवाद दोनों पक्षों में कई वर्षों से चला आ रहा है लेकिन माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय की सेकंड खंडपीठ ने जगह पर लगे रहे स्टे को हटा दिया ओर सिंगल बेंच को निस्तारण के लिए आदेश दिया
वही ग्रामीणों ने बताया कि न्याना गांव जहां बसा हुआ है वहां पर भी विवाद की स्थिति बनी हुई है क्योंकि वह जमीन भी आजादी से पूर्व वक्फ बोर्ड के नाम दर्ज है आगामी दिनों में इसी प्रकार यहां जाति विशेष के लोग दावा कर सकते हैं और विवाद की स्थिति अत्यधिक फैल सकती है लोगों का कहना है कि आजादी के बाद यहां पर 50 से 60 परिवारों को सरकार के द्वारा यहां पर बसाया गया था जो कि पाकिस्तान से यहां आकर बस गए अगर यहां भूमि वक्फ बोर्ड की या कब्रिस्तान की थी तो सरकार ने यहां पर उन्हें क्यों बसाया
फ़ोटो विवादित भूमि के माननीय न्यायालय में विचाराधीन होने की जानकारी के लिए लगाया गया है
विधायक पर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप
प्रशासन के द्वारा उस जगह पर कब्रिस्तान के नाम से म्यूटेशन खोल रहा था जिसकी भनक लगते ही गांव वाले तहसील परिसर पहुंच गए और तहसीलदार विनोद कुमार मीणा को ज्ञापन देते हुए चेताया कि अगर प्रशासन ने कब्रिस्तान के नाम पर चारागाह की जमीन का म्यूटेशन खोला तो क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगा फैल सकता है और 2011 में भरतपुर में हुए बहुचर्चित गोपालगढ़ कांड की पुनरावृति हो सकती है। वहीं ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक साफिया जुबेर खान पर सरकार और प्रशासन को दबाने के आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक के दबाव में प्रशासन चारागाह की जमीन पर कब्रिस्तान के नाम म्यूटेशन खोलना चाहता है जो बिल्कुल स्वीकार्य नहीं होगा अगर प्रशासन ने गलती से कब्रिस्तान के नाम पर मीटिंग खोल दिया तो क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगा चल जाएगा जिसका जिम्मेदार प्रशासन रहेगा।
कब्रिस्तान की विवादित जमीन को लेकर ही हुआ था गोपालगढ़ कांड फिर आया सुर्खियों में
राजस्थान के भरतपुर जिले के गोपालगढ़ में कब्रिस्तान की विवादित जगह को लेकर सांप्रदायिक दंगे फैल गए थे जिसमें कई लोगों की जान गई थी तथा दर्जनों लोग घायल हो गए थे वह फिर एक बार फिर सुर्खियों में आ रहा है दरअसल गोविंदगढ़ के न्याणा में कब्रिस्तान की विवादित जमीन को लेकर हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष आमने-सामने है हिंदू पक्ष का कहना है कि अगर चारागाह की जमीन को कब्रिस्तान के नाम पर म्युटेशन खोला गया तो सांप्रदायिक दंगा फैल जाएगा जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।