राजस्थान सरकार के पास लाभार्थियों का पूरा रिकॉर्ड फिर भी भीषण गर्मी व कर्मचारियों की हड़ताल के बीच जनता को लाइन में लगाकर महंगाई राहत शिविर में पंजीयन कराना सरकार का दिखावा - कोली
वैर (भरतपुर,राजस्थान/ कौशलेंद्र दत्तात्रेय) राज्य में कर्मचारियों की हड़ताल के साथ 24 अप्रैल से भीषण गर्मी के बीच प्रदेश भर में महंगाई राहत शिविर शुरू हो गए हैं। जबकि राजस्थान सरकार के पास लाभार्थियों का पूरा डाटा मौजूद हैं। फिर भी लाइन में लगा दी जनता एवं महंगाई राहत शिविर में पंजीयन कराना केवल सरकार का दिखावा दर्शाता है। ये बात भरतपुर की पूर्व मेयर सुमन कोली ने ग्रामीण इलाकों का दौरा करते समय लोगो से कही। तथा राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घेर दिया। मेयर सुमन कोली ने बताया कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में लाभ प्राप्त करने वालों को इन शिविरों में पंजीयन करवाना अनिवार्य है। जबकि सवाल यह उठता है। कि जब सरकार के पास लाभार्थियों का पूरा डाटा मय रिकॉर्ड पहले से ही मौजूद है। तब इन शिविरों में अनिवार्य पंजीयन क्यों करवाया जा रहा है। वही मई जून की भीषण गर्मी में शिविरों में घंटों इंतजार करने के बाद लोगो का पंजीयन हो पा रहा है। क्योंकि किसी न किसी योजना से प्रदेशवासी जुड़े हैं। इसलिए प्रदेशभर के अधिकांश लोगों को इन शिविरों में आना ही पड़ रहा है। वहीं रसोई गैस का सिलेंडर पांच सौ रुपए में लेने वालों को भी पंजीयन कराना अनिवार्य है। जबकि पांच सौ रुपए में सिलेंडर उन्हीं उपभोक्ताओं को मिलेगा। जिनका कनेक्शन केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना में मिला है। राज्य सरकार के पास उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की सूची है। ऐसे में सरकार चाहे तो उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर ही पांच सौ रुपए वाली सुविधा दे सकती है। वही सौ यूनिट बिजली फ्री करने के मामले में भी सभी विद्युत वितरण निगमो में घरेलू उपभोक्ताओं व कृषि में किसानों को दो हजार यूनिट फ्री बिजली का रिकॉर्ड भी सरकार के पास पहले से ही मौजूद है। कोली ने कहा कि जब राज्य सरकार ने धरेलू बिजली कनेक्शन पर प्रतिमाह सौ यूनिट फ्री कर दिया गया है तो बिजली के बिलों में लगने वाले सरचार्ज को क्यों बढा दिया गया है।क्योंकि ऐसे उपभोक्ताओं को पूर्व में भी प्रतिमाह 500 से लेकर 11 सौ रुपए की सब्सिडी मिल रही थी। इसी प्रकार सामाजिक सुरक्षा में पेंशन भी जिन व्यक्तियों को मिल रही है। उसका रिकॉर्ड भी सरकार के पास है। तथा जरूरतमंद परिवारों को अन्नपूर्णा फूड पैकेट देगी। यह फूड पैकेट राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने वालों को ही मिलेंगे। सरकार के पास इन लाभार्थियों का भी पूरा रिकॉर्ड है। वही चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के पात्र व्यक्तियों का रिकॉर्ड तो सरकार के पास पिछले दो साल से है। यानि ऐसी कोई योजना नहीं है। जिसके लाभार्थियों का रिकॉर्ड सरकार के पास न हो। सरकार चाहती तो अपनी घोषणाओं के अनुरूप लाभार्थियों को लाभ देना शुरू कर सकती थी। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इन महंगाई राहत शिविरों के पीछे राजनीतिक मकसद छिपा हुआ है। इसलिए पंजीयन को अनिवार्य किया गया है। प्रदेश में छह-सात माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में गहलोत सरकार यह दिखाना चाहती है। कि सरकारी योजनाओं का लाभ कांग्रेस सरकार द्वारा दिया जा रहा है। वही बहुत सी योजनाओं में तो सीएम गहलोत का फोटो पहले ही लाभार्थियों को देखने को मिलता है। किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को जो सब्सिडी और सौ यूनिट बिजली फ्री देने का वायदा किया। मजेदार बात तो यह है कि बिजली के बिलों में सरचार्ज बढ़ाया है।उसमें बिजली के बिल पर सीएम अशोक गहलोत का फोटो है और हर बिल पर यह दर्शाया गया है। कि यह राहत सरकार द्वारा दी जा रही है। ऐसे में 24 अप्रैल से शुरू हुए राहत शिविरों में भी सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार सरकारी तंत्र व मशीनरी के द्वारा किया जा रहा है। जो सम्मान पत्र है। उसमे भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फोटो है। इससे साफ जाहिर है। कि सरकार आम जनता को लाइन में लगाकर व मुद्दों से भटकाकर व अधिकारियों को गांव गांव भेजकर केवल दिखावा करने का काम कर रही हैं। जबकि अधिकांश कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर तहसील, जिला मुख्यालय सहित राजधानी क्षेत्र जयपुर में सरकार के खिलाफ हल्लाबोल कार्यक्रम चलाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।