मैथना स्थित हनुमान गौशाला के गोवंशो को वन विभाग व प्रशासन के नेतृत्व में अन्य गौशालाओं में किया गया स्थानांतरित
कठूमर (अलवर, राजस्थान/ अशोक भारद्वाज) कठूमर उपखंड क्षेत्र के ग्राम मैथना स्थित हनुमान गौशाला को वन विभाग द्वारा अतिक्रमण के नाम 21 अप्रैल को बुल्डोजर के ध्वस्त करने के मामले को लेकर चौथे दिन रविवार को सुबह वन विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और गौशाला में मौजूद शेष गौवंशो को अन्य जगह स्थित गौशाला में भिजवाने का प्रबंध किया गया। देर शाम तक फुल 69 गोवंश बुध विहार, टिकरी, ततारपुर, कांमा आदि जगहों की गौशालाओं में गोवंश को स्थानांतरित किया गया। शेष रही करीब 30 गोवंश को सोमवार को स्थानांतरित किया जाएगा।
मौके पर पहुंचे एसडीएम रामकिशोर मीणा ने बताया कि यह गौशाला अवैध रूप से वन विभाग की जमीन पर बनी हुई थी। कई बार संबंधित पक्ष को गौशाला हटाने के नोटिस जारी किए गए और राजगढ़ स्थित वन विभाग के सहायक वन संरक्षक कोर्ट 2020 के अनुपालना में गौ संचालक को 4 माह पूर्व गौशाला हटाकर अनियंत्रित स्थानांतरित करने को कहां गया। लेकिन गौ संचालक उक्त नोटिस को अनसुना कर गए। इस पर वन विभाग द्वारा 21 अप्रैल को बुलडोजर के जरिए अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई।
अतिक्रमण हटाने के बाद सैकड़ों का गौवंशो के सामने चारा पानी के अभाव में सैकड़ों गोवंशो के सामने चारे का संकट उत्पन्न हो गया। इस संबंध में सूचना मिलने पर रविवार सुबह वन विभाग एवं प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और एसडीएम रामकिशोर मीणा के निर्देशन में इन गायों को ततारपुर, अलीपुर सहित भरतपुर की कई गौशालाओं में भिजवाने की व्यवस्था की गई। इस मौके पर एसडीएम ने दावा किया कि ग्राम वासियों के सहयोग से प्रशासन द्वारा पिछले 3 दिनों तक शेष रही गौवंशो के लिए चारे पानी का उचित प्रबंध किया गया और अब इनकी समुचित देखभाल के लिए विभिन्न गौशालाओं में भिजवाया जा रहा है।
इस मौके पर पुलिस उपाधीक्षक राजेश कुमार शर्मा, विकास अधिकारी सुनील कुमार मीणा, तहसीलदार हनीफ खान, मैंथना सरपंच मुकेश गुर्जर व वन विभाग का पुलिस जाप्ता सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।
रविवार को मौके पर ही मौजूद लक्ष्मणगढ़ रेंज के वन पाल जितेंद्र सेन ने बताया कि प्रथम चरण के दौरान हनुमान गौशाला को हटाकर 40 बीघा जमीन अतिक्रमण मुक्त करा दी गई है और मैथना रूंध की 1400 बीघा जमीन में से सैकड़ों बीघा जमीन लोगों ने चारों तरफ से तोड़कर अपने खेतों में मिला ली है। जिसकी सर्वे कार्रवाई चल रही है और सर्वे रिपोर्ट आते ही वह जमीन भी अतिक्रमण मुक्त कराई जाएगी।
इधर पूरे दिन रविवार को क्षेत्र के अनेक साधु संत, गो रक्षा दल के अनेक पदाधिकारी व सेवक पहुंचे जिनको प्रशासन व ग्रामीणों के द्वारा समझाइश कर दिया गया।
इधर ग्रामीणों का कहना है कि आसपास के गांवों के ग्रामीणों के द्वारा जब गाय दूध देना बंद कर देती थी तब गाय को पकड़कर मैंथना के रूंध में छोड़ दिया जाता था जिनके साथ चलते काफी संख्या में गाय एकत्रित हो गई थी और उनकी पर्याप्त बाढा़ बंदी नहीं होने से पशु स्वतंत्र रूप से विचरण करते थे जिससे किसानों की फसलों में बड़ा खराब होता था। और 4 से 5 महीने खेतों में रात्रि में पहरेदारी कर फसल की सुरक्षा करनी पड़ती थी।