आज विश्व पर्यावरण दिवस :प्लास्टिक कैरी बैग पर लगे प्रतिबंध---मंगल चंद सैनी पूर्व तहसीलदार
झुंझुनू (सुमेर सिंह राव)
विश्व पर्यावरण दिवस 1973 से 5 जून को प्रतिवर्ष मनाया जाता है किंतु क्या वर्ष में 1 दिन के आयोजन से पर्यावरण प्रदूषण कम हुआ है मेरा स्पष्ट मानना है कि घटने के बजाय प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है, फिर विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का औचित्य क्या है,पर्यावरण दिवस मनाना एक रस्म अदायगी बनकर रह गई है।
पर्यावरण के मुख्य घटक वायुमंडल जीवमंडल स्थलमंडल व जलमंडल हैं।प्लास्टिक रूपी भयानक दानव पर ही आज का विचार केंद्रित है।
प्लास्टिक बनाने में काम में लिए जाने वाले रसायन शरीर के लिए विषाक्त व हानिकारक हैं इसके उपयोग से सीसा कैडमियम और पारा जैसे रसायन सीधे मानव शरीर के संपर्क में आते हैं, ये जहरीले पदार्थ कैंसर जन्मजात विकलांगता इम्यून सिस्टम और बचपन में बच्चों के विकास को प्रभावित करते हैं।आज जिधर भी निकल जाएं प्लास्टिक कचरे के ढेर नजर आएंगे कहीं पशु खा रहे हैं कहीं कचरा बीनने वाले लगे रहते हैं, नदियों में तालाबों में नालियों में प्लास्टिक ही प्लास्टिक नजर आता है।
प्लास्टिक कचरे के इतने भयंकर दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं, मानव व पशु जीवन के लिए जानलेवा बन चुका है, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को निगलता जा रहा है, समुद्र और नदी के जीवो की जान खतरे में पड़ चुकी है। तमाम जलस्रोत प्रदूषित हो चुके हैं, वही पानी हम पीने को मजबूर हैं, उसके बावजूद हम गहरी नींद में सो रहे हैं। इस खतरे से निबटने के लिए कागजी खानापूर्ति के बजाय वास्तविकता के धरातल पर काम करने से ही बचाव हो सकता है।
प्लास्टिक खतरे से बचाव के कुछ उपाय
घरेलू सामान खरीदने जाना हो तो कपड़े के थैले में लाएं।
पानी की प्लास्टिक की बोतल के स्थान पर थर्मस काम में लें।
विवाह आदि में प्लास्टिक प्लेट गिलास के स्थान पर स्टील के बर्तन काम में लेवे।
प्लास्टिक के बने खाने के पैकेट टिफिन फर्नीचर आदि का उपयोग बंद करें।
प्लास्टिक के उत्पादन को कम करना व नए संस्थानों को प्लास्टिक उत्पादन की मंजूरी नहीं देना।
जागरूकता फैलाकर जैसे सेमिनार टीवी रेडियो विज्ञापन होर्डिंग सोशल मीडिया आदि के द्वारा प्लास्टिक से होने वाले जानलेवा खतरे से अवगत कराया जावे।
यदि हो सके तो विशेष रूप से प्लास्टिक कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जावे।
लेखक के निजी विचार हैं।:- लेखक रिटायर्ड तहसीलदार मंगल चंद सैनी