जल जंगल और जमीन के असली रखवाले हैं आदिवासी - सैनी
विश्व आदिवासी दिवस पर विशेष
उदयपुरवाटी (झुञ्झुनु, राजस्थान/ सुमेर सिंह राव) प्रतिवर्ष 9 अगस्त को आदिवासी दिवस संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है इसे संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1994 में मान्यता प्रदान की गई थी। राजस्थान सरकार द्वारा इस दिन राजकीय अवकाश घोषित किया गया है। विश्व के 90 से अधिक देशों में आदिवासी समुदायों की जनसंख्या लगभग 37 करोड़ है। 5000 जातियां व सात हजार भाषाओं से इनकी पहचान है। भारत के मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र राजस्थान आंध्र प्रदेश उड़ीसा असम मेघालय नागालैंड पश्चिमी बंगाल आदि प्रदेशों में आदिवासी जनसंख्या मौजूद है। आदिवासियों में विशेष रुप से संथाल बंजारा मुंडा मीणा खासी गारो गोंड भील बोडो जैसे समुदाय विभिन्न प्रदेशों में रहते हैं।
असल में आदिवासी इस देश में मूल निवासी व स्वदेशी लोग हैं। आज भी पहाड़ों नदियों पक्षियों जानवरों की पूजा की जाती है जिसके कारण पहाड़ नदियां जंगल व पशु पक्षी सुरक्षित रहते हैं। जल जंगल व जीवन को सुरक्षित रखना इनके जीवन का लक्ष्य रहता है।आधुनिक चकाचौंध से अब भी दूरी बनाए रखते हैं। नस्लवाद रंगभेद कम साक्षरता आर्थिक पिछड़ापन स्थिर या घटती जनसंख्या आदिवासियों के विकास में मुख्य समस्या है। इन्हें पारिस्थितिकीय ज्ञान इतना होता है कि 2004 में जब सुनामी आई थी तो अंडमान के आदिवासियों को पूर्वाभास हो गया था और वे ऊंचाई वाले स्थानों पर चले गए थे।
आदिवासी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य इन को मुख्यधारा में लाना आर्थिक शैक्षिक व सामाजिक उत्थान करने की योजनाएं लागू करना है। धनुर्धर एकलव्य को कौन नहीं जानता, बिरसा मुंडा रानी दुर्गावती राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू किसी परिचय के मोहताज नहीं है जो आदिवासी समुदाय से हैं।
आदिवासी भाइयों को आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं
जय जोहार जय आदिवासी जय मूलनिवासी।
यह लेखक के निजी विचार हैं)