परीक्षा के दिनों में विद्यार्थियों के शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक है योग - योगाचार्य दिनेश आर्य
किशनगढ़ बास (अलवर, राजस्थान/ श्याम नूरनगर) परीक्षा के दिनों में छात्रों की शारीरिक गतिविधियां अत्यधिक कम हो जाती हैं, जिससे मोटापा, शरीर में अकड़न या दर्द महसूस होने लगता है। इसके लिए छात्रों को योगाभ्यास का सहारा लेना चाहिए। योग छात्रों के संम्पूर्ण विकास में सहायक है।
विद्यार्थियों को रोज सूर्यनमस्कार करना चाहिए। इससे पूरे शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है। माता-पिता को विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है कि बच्चा दिन-रात किताबों में ही न डूबा रहें। उसे कुछ समय अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए ध्यान, प्राणायाम और खेल-कूद के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। छात्रों को देर रात तक पढ़ने से बचना चाहिए और प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत डालनी चाहिए। सूर्योदय के समय मन तरोताजा रहता है और वातावरण में आक्सीजन का स्तर अधिक होता है तथा प्रदूषण का स्तर बहुत कम होता है।
इसलिए प्रातःकाल में उठकर कुछ प्राणायाम जैसे नाड़ी शोधन, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी तथा ॐ का उच्चारण करें। दो से पांच मिनट के लिए अपनी भीतर जाने वाली सांस और बाहर निकलने वाली सांस का ध्यान करें। जिससे शरीर ऊर्जावान बनेगा और मानसिक तनाव दूर होगा।
छात्रों को अपने उचित खान-पान के प्रति भी अधिक सचेत रहना चाहिए। सुबह एक मुट्ठी अंकुरित चने और 8-10 बादाम का सेवन करें। भोजन में रोटी, सब्जी, दही और सलाद जरूर लें। भोजन के बाद 2 मिनट वज्रासन में बैठें।
अभिभावक खास ध्यान रखें कि बच्चे ज्यादा मसालेदार, तैलीय बाहरी वस्तुओं का सेवन न करें। रात का भोजन जल्दी करें। भोजन के बाद दस-पन्द्रह मिनट जरूर टहलें। समय पर सोएं क्योंकि 6-7 घंटे की नींद लेनी भी आवश्यक है। जिससे छात्रों का शरीर और मन स्वस्थ रहेंगे। अपनी परीक्षा की तैयारी भी अच्छे से कर पाएंगे।