ब्रज के पर्वतों पर हो रहे खनन के विरुद्ध में आदिबद्री परिक्रमा यात्रा का ग्राम पसोपा में हुआ समापन, 2 फरवरी से आंदोलन को उग्र करने की दी चेतावनी
ब्रज के पर्वतों पर हो रहे विनाशकारी खनन के खिलाफ साधू-संतों व ग्रामीणों का 15 वे दिन भी धरना जारी
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) आदिबद्री क्षेत्र में चल रहे विनाशकारी खनन के विरोध में ग्राम पसोपा में अनिश्चतकालीन धरना शनिवार को 15वे दिन जारी रहा। ब्रज के धार्मिक पर्वत आदिबद्री की परिक्रमा यात्रा का समापन शनिवार को ग्राम पसोपा में हुआ जहां बड़ी संख्या में हिन्दू-मुस्लिम ग्रामीणों ने यात्रा का भव्य स्वागत किया व 2 फरवरी से प्रशासन के खिलाफ आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी देते हुए नारे लगाए ।
परिक्रमा यात्री शनिवार को डाबक , कैथबाड़ा, ओलांदा, झेंझपुरी में जन सभाएं करते हुए अपने आखरी पड़ाव पसोपा पहुंचे । औलन्दा व कैथवाड़ा गावों में ग्रामवासियों ने सभी यात्रियों का पुष्प वर्षा व पटका पहनाकर पगड़ी बाँध कर भव्य स्वागत किया ।इस मौके पर उपस्थित सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से ऐलान किया कि ब्रज के पर्वतों पर अब खनन किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा व खनन मे लिप्त लोगों का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा । ककराला के जलाल खान फौजी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण सभी के प्रेरणा पुरुष हैं । आदिबद्री पर्वत हमारी सांकृतिक, सामाजिक एवं साम्प्रदायिक एकता का प्रतीक है । इसकी रक्षा से ही हमारे जीवन व पर्यावरण कि सुरक्षा हो सकती है । मानमंदिर के अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि खनन विभाग के अधिकारियों ने सरकार को गुमराह कर रखा है कि खनन बंद होने से करोड़ो का नुकसान होगा व कई हज़ार रोजगार खत्म हो जाएंगे पर वास्तविकता इसकी उल्टी है, यहां का कोई ग्रामवासी नहीं चाहता कि इन दिव्य पर्वतों पर किसी भी प्रकार का खनन हो, चाहें वह हिन्दू हो या मुसलमान । यह सब सरकार को भ्रमित करने का षड्यंत्र है । यह बड़ा दुःख का विषय है कि ब्रज के पर्वतों के माहत्म्य को पूरी दुनिया समझती है , हमारे मुस्लिम भाई बहन समझते हैं लेकिन सरकार व प्रशासन कुछ खनन माफियों को लाभ पहुचाने के कारण सभी समाजो के आस्था के प्रतीक व पर्यावरण के लिए महवपूर्ण इन पर्वतों को तुडवा रहा है । उन्होंने कहा कि आज हमारे धरने को सभी छत्तीसों कोमो का समर्थन प्राप्त है लेकिन धरने के 15दिन होने पर भी न सरकार और नाहीं प्रशासन कि ओर से कोई भी प्रतिनिधि बात करने भी नहीं आया है । पूर्व विधयाक गोपी गुर्जर ने कहा कि अब तय होगया है कि हमारी संस्कृति व पर्यावरण को बचाने के लिए आर पार की लड़ाई ही लड़नी होगी । प्रशासन को सीधी बात समझ में नहीं आ रही है । हमारी सांस्कृतिक धरोहरों को लूटा जा रहा है। अब हमें करो या मरो की रणनीति अपनानी पड़ेगी।
यात्रा के ग्राम पसोपा में परिक्रमा यात्रा के पहुंचने पर विशाल जनसभा को कई गांवों के सरपंचों ने संबोधित किया जहां उन्होने मुख्यमंत्री से सार्वजनिक रूप से गुहार लगाई कि नगर व पहाड़ी तहसील में स्थित लब्रज के परम धार्मिक पर्वत आदिबद्री व कंकाचल पर चल रही खानों को अविलम्ब निरस्त कर वन विभाग को अविलंब दिया जाना चाहिए जिससे क्षेत्र की पर्यावरणिक, भोगौलिक एवं स्थानीय आबादी का संरक्षण व संवर्धन किया जा सके । दोनों तहसीलों की समस्त पंचायतें इस खनन कार्य के विरुद्ध हैं व ब्रज के पर्वतों पर हो रहे खनन की कड़ी शब्दों में भर्त्सना करती हैं । सर्वविदित है कि उक्त खानें के संचालन से इन दोनों पर्वतों से लगे समूचे क्षेत्र के पर्यावरण, भोगौलिक स्थिति, आमजनता के स्वास्थ्य व जानवर एवं मवेशियों को अभूतपूर्व एवं अपरिवर्तनीय क्षति पहुच रही है, अत: उक्त क्षेत्र में खनन पर पूर्ण रोक लगाना ही यहाँ के जनमानस व पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक हो गया है । उल्लेखनीय है कि स्थानीय जिला प्रशासन व खनन विभाग की पूर्ण मिलीभगत से व उनके अनैतिक प्रोह्त्सान पर बहुत बड़ी मात्रा में, वैध खनन की आड़ में , संरक्षित पर्वतीय क्षेत्र में अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे न केवल ब्रज के जनमानस, पर्यावरण, पशु पक्षी एवं भौगोलिक स्थिति को अपूर्णीय क्षति हो रही है बल्कि राज्य सरकार को भी हजारों करोड़ों का नुकसान पहुच रहा है । इस करोड़ों के धोटाले में प्रशासन व खनन विभाग के अधिकतर अधिकारी संलिप्त है।