प्राचीन देवबाबा मेला स्थगित होने से बाजारों में रौनक फीकी रही
बयाना भरतपुर
बयाना 08 अगस्त। अरावली पर्वतमाला की श्रृंखला की गोद में निकट के गांव जहाज में लगने वाले प्राचीन लोकमेले के आयोजन को इस बार कोविड 19 के कारण प्रशासन की ओर से स्थगित कर दिए जाने के कारण यहां के बाजारों व बजरिया में भारी सुस्ती का आलम रहा। रोडवेज व प्राइवेट मोटरवाहनों बसों व लोकपरिवहन बस संचालको को भी लाखों के राजस्व का नुकसान उठाना पडा है। वहीं रेलवे को भी लाखों के राजस्व का नुकसान हुआ है। यह प्रसिद्ध लोक मेला प्रतिवर्ष सावन भादों के महीने में जहाज गांव में स्थित धार्मिक आस्था व श्रद्धा के केन्द्र देवबाबा के मंदिर परिसर में आयोजित किया जाता है। इस बार भी यह मेला 5 अगस्त से 8 अगस्त तक आयोजित होना था। जिसे कोविड 19 के चलते स्थगित करना पडा। इस मेले में प्रदेश के विभिन्न गांवों व जिलों के अलावा यूपी, हरियाणा व मध्यप्रदेश से भी हजारों की संख्या में किसान और पशुपालक लोकदेवता देवबाबा के दरबार में हाजिरी लगाने और मनोतीयां मनाने ट्रैनों व बसों से बयाना और बयाना से जहाज गांव पहुंचते थे।जिससे बयाना कस्बे के रेलवे स्टेशन, स्टेशन बजरिया, बस स्टैंड मार्केट व कस्बे के अन्य बाजारों में भी इन लोगों की काफी चहल पहल होती थी। बाजारों में खरीद बिक्री में भी काफी वृद्धि होती थी। इसी प्रकार बसों व ट्रैनों में भी यात्रीयो की भीडभाड बनी रहती थी। इस मेले के चलते हजारों परिवारो को धंधा रोजगार भी मिलता था। किन्तु इस बार मेला स्थगित होने से सभी को निराश होना पडा है।कस्बा निवासी व्यवसाई रामदयाल, गांव जहाज निवासी हरीसिंह, व बस चालक बहादुरसिंह एवं कस्बे में खोमचा बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले युवक अशोक ने बताया कि केन्द्र सरकार की थोडी सी लापरवाही व मनमानी के कारण पूरे देश की जनता को इतने गंभीर कोरोना संकट का सामना करना पड रहा है अगर सही समय पर ही आवश्यक इंतजाम व रोकने के उपाय कर दिए गए होते तो शायद यह नौबत नही आती। पिछले चार महीने से बढती बेरोजगारी व महंगाई और काम धंधे चैपट होने से अब मध्यम वर्ग सहित गरीब व मजदूर वर्ग और नए धंधे व नौकरीयों की आस लगाए बैठे शिक्षित बेरोजगार युवाओं के सामने तो अब गंभीर आर्थिक संकट सहित अपना व अपने परिवार का पालन पोषण करने की भी विकट समस्या खडी हो गई है। अब भी यह नही कहा जा सकता कि इस समस्या से निपटने में और कितना समय लगेगा।
संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट