पांच साल में पालिका भवन नीलामी की नौबत, बोर्ड की बैठक हो या जनता के मुद्दे हर जगह हुई औपचारिकता
खैरथल नगरपालिका की जनता से जुड़े बड़े विकास के कार्य नहीं हुए पूरे
अलवर,राजस्थान
खैरथल:: शहर की सरकार कहलाने वाली नगरपालिका खैरथल के मौजूदा बोर्ड का कार्यकाल पूरा हो गया है।इन पांच सालों में बोर्ड और विपक्ष के जनप्रतिनिधियों की भूमिका जनता के हित में आगे नहीं बढ़ी। बोर्ड की बैठक हो या विपक्ष का घेराव, सबमें औपचारिकता ही दिखी। पालिका प्रशासन की कार्यशैली और भी खराब रही। जिसके कारण पालिका के भवन को नीलाम करने की नौबत आ पहुंची थी। आखिर में विभाग के आला अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा। नेताओं की आपसी टीस के कारण ठेकेदार का भुगतान रोकने से पालिका की पूरे प्रदेश में बद पिटी, आखिर में भुगतान भी करना पड़ा। जनता की समस्याओं के समाधान तो दूर मुद्दे सुनने वाले मुखिया ही अधिकतर समय गायब रहे। कोई बड़ा आंदोलन भी नहीं देखा गया।
ये समस्याएं पांच साल बाद भी काबिज -- कस्बे की सबसे विकट समस्या रेलवे अंडरब्रिज में पानी भरना, रेलवे फाटक पर जाम,नई सब्जी मंडी निर्माण, कस्बे में पार्किंग नहीं होना, अतिक्रमण की भरमार, पेयजलापूर्ति के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाना, पेयजल के लिए खोदी हुई सड़कों को ठीक नहीं करना, डंपिंग यार्ड का अधूरा काम आज भी कायम है। जनता पांच साल पीछे जाकर सोचती है तो कुछ हाथ नहीं लगा है। बोर्ड के विकास कार्यों में अंबेडकर भवन बनाने,गौरवपथ बनवाने सहित अन्य कुछ सड़क बनाने व श्मशान का जीर्णोद्धार कराने के अलावा कुछ खास नहीं है।
धांधली के आरोप भी -- पालिका में विपक्ष नेता अशोक डाटा, नारायण छंगाणी, हीरालाल भूरानी के अनुसार बोर्ड के कार्यकाल में ऐसे स्थानों पर सड़क का निर्माण कराया जहां बस्ती ही नहीं है।राशन वितरण प्रणाली के कारण आमजन को परेशानी झेलनी पड़ी। भवनों के पट्टों में जमकर धांधली के आरोप लगे। बिजली खम्बों पर एल ई डी लाइट भी मनमर्जी से लगा दी। सफाई व्यवस्था लचर रही।
खैरथल नगरपालिका का इतिहास:- खैरथल नगरपालिका में 9 अध्यक्ष बन चुके हैं। जिनमें एक महिला चेयरमैन चमेली देवी को अविश्वास प्रस्ताव लाकर पद से हाथ धोना पड़ा था। बाकी सभी अध्यक्षों ने अपना कार्यकाल पूरा किया। खैरथल नगरपालिका पहले ग्राम पंचायत थी। जिसके बाद में पालिका बनाते हुए सरपंच दाताराम गुप्ता को निर्विरोध चेयरमैन बनाया। इसके बाद 22 जून 1968 को प्रथम चेयरमैन बने। उनके बाद 6 अक्टूबर 1974 से पांच अक्टूबर 1977 तक हीरानंद रोघा अध्यक्ष रहे। इसके बाद 13 वर्षों तक चुनाव नहीं हुए। फिर 1 सितंबर 1990 से 30 अगस्त 1995 तक गुलाब चंद खंडेलवाल चेयरमैन रहे। 31 अगस्त 1995 से 28 अगस्त 2000 तक सुभाष चन्द्र जांगिड़, 28 अगस्त 2000 से 30 जुलाई 2004 तक चमेली देवी , 9 अगस्त 2004 से 24 अगस्त 2005 तक रोहिताश्व कुमार, 24 अगस्त 2005 से 28 अगस्त 2010 तक राजवती देवी, 20 अगस्त 2010 से 20 अगस्त 2015 तक अशोक डाटा चेयरमैन बने और 21 अगस्त 2015 से 20 अगस्त 2020 तक मीना जाटव चेयरमैन रही।
खैरथल की चेयरमैन मीना जाटव ने बताया कि मेरे कार्यकाल में जनहित में अनेक कार्य कराए गए। टूटी सड़कों पर पन्द्रह करोड़ की लागत से नई सड़कों का निर्माण कराया गया। अंबेडकर भवन निर्माण, कस्बे के सभी श्मशान घाटों में 50 लाख के टीन शेड व चारदीवारी कार्य, पानी की किल्लत वाले इलाकों में टैंकरों से पानी सप्लाई व पालिका द्वारा कस्बे में बोरिंग, कस्बे के बाहरी क्षेत्र में हाई मास्ट लाइट जैसे अनेक कार्य कराए गए।
नगरपालिका खैरथल के प्रतिपक्ष नेता अशोक डाटा ने बताया कि नगरपालिका के बोर्ड ने अपनी खूब मनमानी चलाई। पार्षद छोटी छोटी समस्याओं को लेकर चक्कर काटते रहे।यह बोर्ड पूर्व विधायक के इशारे पर चलाया गया अपने पार्षदों के काम कराए। विपक्षी पार्षदों को महत्व नहीं दिया गया।
वार्ड पार्षद विक्की उर्फ विक्रम चौधरी ने बताया कि वर्तमान बोर्ड पूरे पांच साल चेयरमैन की गैरमौजूदगी में चला।लोग समस्याओं को लेकर पालिका के चक्कर लगाते रहे। किशनगढ़ रोड पर बनाए गए पैट्रोल पम्प से रीको के गंदे नाले तक नाले को आज तक भी नहीं जोड़ा गया।
- संवाददाता हीरालाल भूरानी की रिपोर्ट