बंध बारैठा बांध में आया सवा चार फुट पानी, गत वर्ष रहा था खाली

Jul 27, 2020 - 00:51
 0
बंध बारैठा बांध में आया सवा चार फुट पानी, गत वर्ष रहा था खाली

बयाना भरतपुर

बयाना 26 जुलाई। इस बार मानसून के आरंभिक पखवाडे में हुई ठीक ठाक बरसात के बाद यहां के डांग क्षेत्र के बीहडों में स्थित बंधबारैठा बांध में सवा चार फुट पानी आने से बांध  का जलस्तर बढा है। जिससे गत वर्ष से ही बरसात के पानी की बाट जोह रहे इस बांध का जलस्तर अब 7.90 फुट से बढकर 12.20 फुट पर पहूँच गया है। मानसून के आरंभिक पखवाडे में ही चार फुट जलस्तर बढने से जलसंसाधन विभाग सहित क्षेत्र के किसानों व ग्रामीणों एवं सैलानियों में खुशी का माहौल है। यह बांध बयाना उपखंड व भरतपुर जिले के सबसे बडे बांध के रूप में पहचाना जाता है। इस बांध का निर्माण सन् 1890 में अर्थात् 130 वर्ष पूर्व भरतपुर के तत्कालीन महाराजा की ओर से कराया गया था। महाराजा ने तब इस बांध की प्राकृतिक छटा व रमणीक सुंदरता को देख वहां एक आलीशान महल का भी निर्माण कराया था। जो आज किशन महल के रूप में इस पहाडी पर सीना ताने खडा है। पहाडी पर बना यह छोटा महल आज भी दूर से ही लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है। यह महल फिल्म निर्माताओं के आकर्षण का केन्द्र भी रहा है। इस महल व बांध को देखने आज भी दूर दूर से सैलानी आते है। 

जिसकी भराव क्षमता 29 फुट है। जिसके अनुसार इस बांध में कुल 1860 एमसीएफटी पानी भरता है।इस समय इस बांध में 375.60 एमसीएफटी पानी बताया गया है। गत वर्ष कमजोर मानसून के चलते यह बांध काफी खाली रह गया था। गत वर्ष इस बांध का जलस्तर 29 फुट भराव क्षमता के मुकाबले 20 फुट तक ही पहुंच पाया था। इस बार अच्छे मानसून की संभावना के चलते इस बांध के लबालब भरने की उम्मीद है। इस बांध में  बरसाती जल का भराव करौली जिला व मासलपुर क्षेत्र में होने वाली बरसात पर निर्भर करता है। इस बांध में बयाना क्षेत्र के बीहडों के अलावा मांसलपुर व करौली इलाके के कैचमेंट एरिया का पानी आता है। यह बांध कुकुंद नदी के उपर बना हुआ है। जो आगे जाकर गंभीर नदी में विलय हो जाती है। यह बांध तत्कालीन भरतपुर नरेश की ओर से किसानों व पशुपालकों की उन्नती और खेतों की सिंचाई के लिए बनाया गया था। पिछले करीब चार दशक से इस बांध से पाइप लाइनों के जरिए भरतपुर शहर के लिए भी पेयजल आपूर्ती भी शुरू की गई थी। जो अब वहां चम्बल परियोजना का पानी शुरू होने के बाद भी निरंतर जारी है। बंधबारैठा बांध से भरतपुर शहर के लिए अब रोजाना 1.33 एमसीएफटी पानी की पेयजल के रूप में आपूर्ती की जाती है और प्रतिवर्ष खेतों की सिंचाई के बजाए पेयजल आपूर्ती के लिए पानी बांध में रिजर्व रखा जाता है।

लाखों की होती है आयः- इस बांध में जिला मत्स्य पालन विभाग की ओर से बडे पैमाने पर मछली पालन भी किया जाता है। जिससे प्रतिवर्ष कई लाख रूपए की आय विभाग को प्राप्त होती है। इसके अलावा किसानों को सिंचाई के लिए दिए जाने वाले पानी के कर के रूप में भी किसानों से प्रतिवर्ष लाखों रूपए की आय होती है। हालांकि बरसाती सीजन व मछलियों का गर्भाधान सीजन होने के चलते मानसून के दौरान चार महीने तक इस बांध में मछली पकडने व जाल डालने पर प्रतिबंध रहता है। फिर भी अब भी तथाकथित मछली ठेकेदार इस बांध में चोरी छुपे जाल डालकर मछलियां पकडकर उन्हें आगरा व अलीगढ एवं दिल्ली आदि मंडियों में सप्लाई कर मोटी कमाई करने में लगे हुए है और संबंधित विभाग अनजान बना बैठा है।

अब तक नही हुई सफाईः- 130 वर्ष पहले बने इस बांध की निर्माण के बाद अभी तक कभी साफ सफाई नही हो सकी है। जिससे इस बांध में बरसाती पानी के साथ आने वाली सिल्ट व बजरी और मौरम का भराव हो जाने से बांध की भराव क्षमता में भी काफी कमी आई है। अगर इस बांध के तल की मानसून से पूर्व ग्रीष्म ऋतु में पानी उतरने पर योजनाबद्ध तरीके से साफ सफाई कराई जाए तो बांध की गहराई व जलभराव क्षमता बढेगी। वहीं सफाई के दौरान निकलने वाली उपजाउ मिट्टी और बजरी के विक्रय से भी करोडों की आय सरकार को हो सकती है।

कलैक्टर ने दिए निर्देशः- चार दिन पूर्व इस बांध को देखने अचानक पहुंचे भरतपुर के जिला कलैक्टर नथमल डिडेल ने भी इस बांध की साफ सफाई व मरम्मत और उसे प्राकृतिक प्र्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की आवश्यकता बताते हुए जलसंसाधान विभाग के अधिकारीयों को नरेगा योजना के तहत इस बांध की पाल व गेटों एवं नहरों आदि स्थानों की साफ सफाई और मरम्मत कराने के निर्देश दिए थे। हालांकि जिला कलैक्टर के निर्देशानुसार यह कार्य वहां अभी शुरू नही हो सका है

संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट

 

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow