रोज कचरे को किया जाता है आग के हवाले, प्रदूषण होता है खराब जहरीली गैस से टीवी दमा श्वास के मरीजों को खांसी परेशानी कचरे में मुंह मारते हैं आवारा पशु जिसके चलते उनके जीवन के साथ भी खिलवाड़ आए दिन आमजन वृद्धजन होते हैं आवारा पशुओं के द्वारा चोटिल
लक्ष्मणगढ़ (अलवर, राजस्थान/ गिर्राज सौलंकी) एक ओर कोरोना संक्रमण से समुचित विश्व जूझ रहा है। पर लक्ष्मणगढ़ कस्बे में आज भी गंदगी का आलम रहता है। यहां चारों ओर प्रातः काल अगर घूमने जाओ तो कचरे के ढेरों में आग लगी मिलेगी जैसे समझो की होली जल रही है। जिधर देखो उधर आवारा जानवरों का जमावड़ा रहता है । जैसे कुत्ता सूअर इत्यादि सहित गोवंश भी जगह-जगह कस्बे में लगे कचरे के ढेरों में गंदगी में मुंह मारते हैं। पर विषय यह है ,की घरों में कचरे को पन्नियों में इकट्ठा करके उस कचरे की पन्नी को कचरे के ढेर के हवाले कर जाते हैं ।जिसमें गोवंश आते हैं ,कचरे की पन्नी को अपने पेट में निकल जाते हैं। जिसके कारण पॉलिथीन को खां कर के में उस गोवंश को भी काल का ग्रास बनना पड़ता है। इधर सफाई कर्मचारियों की लापरवाही यह है । की सफाई कर्मचारी तो अपनी सफाई समय पर कर जाते हैं । पर उस कचरे को आग के हवाले कर जाते हैं। कचरे को उठाने वाला ट्रैक्टर समय पर न आने के कारण आवारा पशुओं के द्वारा उस कचरे को फैला दिया जाता है । और मोहल्लों में सफाई करने वाली घरों में सफाई करने वाली कुछ महिला सफाई कर्मी मोहल्लो का कचरा बाजारों में पटक कर चले जाती हैं।जिसमें सूअरों के द्वारा संपूर्ण कस्बे में गंदगी का आलम बना रहता है। व आमजन अपनी मोटरसाइकिल पर सब्जी या अन्य खाद्य पदार्थ को लेकर के जाता है तो ये सूअर उस थैले को फाड़ देते हैं।
मोटरसाइकिल को गिरा देते हैं। बंदरों से ज्यादा आतंक है तो सूअरों का है ।कस्बे में इन आवारा सूअरों कुत्तों व गोवंश के कारण एकत्र होने पर प्रातः काल घूमने वाले वृद्धजन युवक-युवती महिला पुरुष कितने ही चोटिल हो गए हैं ।आए दिन ऐसी घटना का शिकार होते रहते हैं तो क्यों ना इस व्यवस्था पर ध्यान देकर सही और सुचारू किया जाए जिसमें सफाई कर्मचारियों के द्वारा सफाई करने के बाद उस कचरे में आग लगा दिया जाता है। आग के कारण वैसे ही देश में संक्रमण फैल रहा है ।आग की इस जहरीली धुंआ जो घरों में प्रवेश कर जाती है। जिससे घरों में वृद्ध जन टीवी दमा बीमारी के मरीजों के लिए बहुत ही घातक सिद्ध हो रही है। पर अनेकों बार इन अधिकारी और कर्मचारियों को अवगत करा दिया गया ।इनके कानो पर जू तक नहीं रेंगती है । जबकि अधिकारियों की शिकायत मानव अधिकार आयोग तक पहुंचा दी गई है जिसके निस्तारण की बात को करते हुए जिला कलेक्टर वह यहां के विकास अधिकारी तक को पहुंचा दी गई है और मानव अधिकारों के आदेश की पालना नाही जिला कलेक्टर के आदेश की पालना हो पा रही है कस्बे के अंदर,अब देखना यह है कि कोरोना महामारी में संक्रमण के चलते हुए क्या लक्ष्मणगढ़ में कार्यरत यह अधिकारी और कर्मचारी सफाई कर्मी क्या संजीदा हो पाते हैं या नहीं होते जनता के प्रति क्या इनकी भावना है यह अब देखने का विषय है।