हरि बोलदास ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र कहा- मेरी मौत का जिम्मेदार खनन माफियाओं के हाथों बिका यह भ्रष्ट प्रशासन व सरकार का नकारात्मक रवैया होगा
कहीं भी कर सकता हूँ आत्मदाह-हरि बोलदास
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान) ब्रज के पर्वतों के विनाश से दुखी हरिबोल बाबा की कफन यात्रा मातुकी, केदारनाथ, बिलौन्द, धाऊबरौली से होते हुए मंगलवार को ड़ीग उप खंड के गांव पसोपा पहुंची । बाबा हरिबोल जहां से भी निकले रास्ते मे वहां के ग्रामवासियों ने उनका स्वागत किया साथ उन्हें समझाने का काफी प्रयास किया कि वह अपने आत्मदाह के निर्णय को टाल दें क्यों कि उनका जीवन ब्रज भूमि की सेवा के लिए है। इस दौरान ब्रजवासियो ने प्रदेश की सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वह संतों की उपेक्षा कर खनन माफियाओं का खुला सहयोग कर ब्रज केविनाश पर क्यो आमादा है। यदि हरिबोल बाबा को कुछ हो गया तो सारे ब्रज में आग लग जायेगी।
इस पर हरिबोल बाबा ने ग्रामवासियों को कहा कि जब तक मैं नहीं अपना बलिदान नही दूंगा इस गूंगे बहरे प्रशासन की नींद नही टूटेगी जो खनन माफियाओं से सांठगांठ कर ब्रज की इस अमूल्य धरोहर इन दिव्य पर्वतों को नष्ट करवाने में लगा हुआ है । उन्होंने कहा कि सरकार वादाखिलाफी कर सकती मै अपनी ब्रजभूमि से वादाखिलाफी नहीं कर सकता । उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं जिला अधिकारी के यहां ही जाकर आत्मदाह करूंगा ताकि वह मुझे वहां गिरफ्तार कर सके। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि प्रशासन इस मुगालते में न रहे व जान ले कि मैं कहीं पर भी आत्मदाह कर सकता हूँ। अगर 19 जुलाई तक ब्रज के पर्वतों को संरक्षित नहीं किया गया व ओवरलोडिंग को नही रोका मेरी अन्य तो में निश्चित रूप से अपने शरीर का त्याग करूँगा ।
उन्होंने मंगलवॉर को मुख्यमंत्री को खुले पत्र में लिखा है कि " मै पिछले 10 वर्षों से ड़ीग व पहाड़ी तहसील में पड़ रहे आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त कराने के लिए लड़ रहा हूँ। मै आपसे कहना चाहता हूं कि अगर आपने साधु संतों व ब्रजवासियों से 6 अप्रैल को किया अपना वायदा पूरा नहीं किया तो 19 जुलाई को मैं भरतपुर में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने आत्मदाह करूँगा । 10 वर्षों से लगातार संघर्ष करने के बाद भी न तो जिला प्रशासन और नहीं सरकार ने ब्रज के इन पर्वतों को बचाने के लिए कोई कदम उठाया है । इन पर्वतों का खनन से रक्षण तो दूर की बात है, सरकार अब तक खनन से संबंधित सामान्य नियमों की पालना भी नही करवा पाई है । खनन अधिकारी, प्रदूषण बोर्ड, पुलिस व जिला प्रशासन सब के सब सांठ गांठ से खुले आम नियमों की अनदेखी कर खनन कर्ताओं से रिश्वत ले कर ब्रज के इन पर्वतों के नाश करवा रहे हैं। वन विभाग की जमीन पर गैरकानूनी तरीके से खनन के लिए रास्ता बनाना हो, ओवरलोडिंग का मामला अथवा वैध खनन की आड़ में अवैध खनन हो, हर जगह प्रशासन की मदद से यह खनन माफिया हमारी ब्रज भूमि की प्रकृति को नष्ट करने पर आमादा है। अब यह मेरे लिए असहनीय हो चुका है व में अब लड़ते लड़ते थक चुका हूँ । अब बस प्राणों को त्याग कर ही आपको बताना चाहता हूं कि इस गोरखधंधे को तुरंत बंद कीजिये वरना आने वाली पीढ़ी व यह प्रकृति इस विनाश के जघन्य अपराध में लिप्त सत्ताधारियों को कभी माफ नहीं करेगी ।
साथ ही मेरी मौत का कारण यहां का भ्रष्ट व लच्चर प्रशासन व उसका दुरुपयोग करने वाले अधिकारी एवं सत्ताधारी लोग होंगे। इसलिए मेरे मृत्योपरांत इनके अलावा किसी को भी मेरी मृत्यु का जिम्मेदार नहीं माना जाए । भगवान से प्रार्थना है कि मेरे आत्मदाह करने के बाद आप साधु संतों से किए हुए अपने वायदे को पूरा कर ब्रज के दोनों परम आराध्य पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को खनन मुक्त कर संरक्षित कर यहां की प्रशासनिक व्यवस्था को ठीक करेगें एवं मेरी मृत्यु के दोषियों को उचित दंड दिलवाएंगे ।भगवान आपका भला करे इस अवसर पर हज़ारों ग्रामीणों के अलावा महंत शिवराम दास, भूरा बाबा, संत मुकेश बाबा, सुल्तान सरपंच आदि मोजूद थे ।