बाबा गुरबचन सिंह की स्मृति में मनाया मानव एकता दिवस
दिलों को जोड़ने का नाम है मानव एकता, सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
खैरथल (अलवर, राजस्थान/ हीरालाल भूरानी) "दिलों को जोड़ने का नाम है मानव एकता और यह संभव होता है परमात्मा के बोध से। परमात्मा की जानकारी होते ही पता चल जाता है कि हम सब एक हैं।" यह उदगार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने आज वर्चुअल रूप में आयोजित मानव एकता दिवस पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए। संत निरंकारी मंडल खैरथल की मीडिया सहायक सोनम प्रेमी ने बताया कि संत निरंकारी मिशन के बाबा गुरबचन जी को 24 अप्रैल 1980 के दिन संसार में मानव एकता,अमन-चैन का वातावरण स्थापित करते हुए सत्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी थी।उनकी तप त्याग से परिपूर्ण जीवन एवं शिक्षाओं से प्रेरणा लेने के लिए संत निरंकारी मिशन की ओर से यह दिन मानव एकता दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है । इस वर्ष वर्चुअल रूप में आयोजित मानव एकता समागम का आनंद पूरे विश्व में फैले लाखों निरंकारी भक्तों ने मिशन की वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त किया। सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने आगे कहा की आत्मा और परमात्मा का जब मिलन हो तो मानव- मानव के बीच में जाति - पाती ऊंच-नीच जैसा कोई फर्क बाकी नहीं रह जाता बल्कि हर किसी की सेवा एवं मदद करने का भाव पैदा होता है इसका व्यावहारिक रूप पिछले 1 वर्ष से दिख रहा है कि कोरोना महामारी के संकट के दौरान मिशन के श्रद्धालु भक्तों ने विभिन्न रूपों में लगातार मानवता की सेवा में अपना योगदान दिया है।
बाबा गुरबचन सिंह जी ने एक और जहां सत्य के बोध द्वारा मानव जीवन को सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त करने का प्रयत्न किया वहीं दूसरी और नशाबंदी एवं सादा शादियां जैसे समाज सुधारों की नींव रखी उन्होंने मिशन के संदेश को केवल भारतवर्ष में ही नहीं अपितु विदेशों में भी पहुंचाया जिसके परिणाम स्वरूप आज विश्व के 60 से भी अधिक देशों में मिशन की सैकड़ों ब्रांच स्थापित हो चुकी हैं जो सत्य प्रेम एवं मानवता का संदेश जन-जन तक पहुंचा रही है इसी के साथ ही सदगुरु माताजी ने दुनिया पर छाया हुआ कोरोना महामारी का संकट जल्दी से दूर होने के लिए भी अरदास की।