पर्यावरण संरक्षित करना है तो करना होगा बच्चों को उसके प्रति संवेदनशील
बहरोड (अलवर,राजस्थान) कोरोना के चलते जहाँ बहुत कुछ नकारात्मक हुआ है, वहीं कुछ अच्छी आदतें भी डली है। पेड़ पौधे, पशु, पक्षी, जल इन सबसे मिलकर ही हमारा पर्यावरण बना है। दौड़-भाग भरी जिंदगी में ना तो बच्चों के पास समय था और ना बड़ो के पास। इस लॉक डाउन में समय मिला है बच्चों को प्रकृति के साथ समय व्यतीत करने का। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में यह बात सोशल एक्टिविस्ट डॉ. सविता गोस्वामी द्वारा कही गयी। उन्होंने बताया कि गत डेढ़ वर्षों से नियमित रूप से युनकी बेटियों चिन्मयी गोस्वामी व केशवी गोस्वामी द्वारा पक्षियों के लिए दाना पानी डाला जाता है। ये पक्षी अब इनके मित्र बन चुके है। साथ ही केशवी द्वारा कविता के माध्यम से साँसे हो रही है कम, आओ वृक्ष लगाए हम का संदेश दिया गया। वहीं डॉ. पीयूष गोस्वामी ने कहा कि यदि हम समाज मे बड़े बदलाव लाना चाहते है तो उसकी शुरूआत मासूम बच्चों से करनी होगी। बचपन से उनके अंदर परोपकार की भावना डालनी होगी। पौधारोपण के साथ साथ पर्यावरण को प्लास्टिक रूपी दानव से मुक्त करना होगा तभी सही मायनों में विश्व पर्यावरण दिवस मानना सार्थक होगा।
अंत मे डॉ. सविता द्वारा स्वरचित काव्य रचना प्रस्तुत की गई-
- विश्व पर्यावरण दिवस देता यही संदेश है,
- प्रकृति से उत्थान है, हरियाली से ही देश है।
- ऑक्सीजन की ना फिर कमी हो, ना आपसी यह क्लेश हो
- सर्वार्थ हितकारी जमीं करती नही कभी द्वेष है।।