लक्ष्मणगढ़ में सुबह से ही गूंज रहा ये काटा वो मारा का शोर
रक्षाबंधन पर जमकर पतंगबाजी, बूढ़े, बच्चे, जवान उठा रहे पतंगबाजी का लुत्फ, जिले में रक्षाबंधन और कृष्ण जन्माष्टमी पर होती है पतंगबाजी,
लक्ष्मणगढ़ (अलवर, राजस्थान/ गिर्राज प्रसाद सोलंकी) रक्षाबंधन के अवसर पर सुबह से ही ये काटा, वो मारा का शोर सुनाई देने लगा। युवा, बच्चें और जवान अपनी छतों पर चढ़कर पतंग उड़ाते नजर आए। भाई-बहनों के प्यार के प्रतीक रक्षाबंधन और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पतंगबाजी की परंपरा है। इस अवसर पर बाजारों में पतंग की दुकान पर पतंगबाजों की अच्छी खासी भीड़ नजर आई। रक्षाबंधन के दिन रविवार को सुबह से लेकर देर शाम तक बच्चे, पुरूष व महिलाएं शहर की छतों पर जाकर दिनभर पतंग उड़ाते हैं। जिससे गलियों में ये काटा-वो मारा का शोर सुनाई देता है। लक्ष्मणगढ़ उपखंड मुख्यालय सहित , जावली हरसाना मौजपुर लीली टोडा व ग्रामीण क्षेत्रों में रक्षाबंधन से एक दिन पूर्व पतंगबाजों ने पतंगों की दुकानों से पतंग व माझा-डोर खरीद कर रख लिए, ताकि रक्षाबंधन के दिन पतंगों की कमी नहीं आए।
बड़ों के साथ बच्चों में भी पतंग उड़ाने का खासा जुनून दिखा। बच्चें तड़के सवेरे ही छतों पर चढ़ गए और पतंग उड़ाने लगे। अधिकांश घरों की छतों पर पतंगबाजों ने अपनी - अपनी छतों पर बारिश व धूप से बचने के लिए त्रिपाल, चद्दर, छतरी व मनोरंजन के लिए लाउड स्पीकर और म्यूजिक सिस्टम लगा लिए तथा संगीत की धुन पर पतंगबाजी का आनंद उठाते व नाचते नजर आए पतंगबाजी का मैच।। इस दौरान कई पतंगबाजों में पतंबाजी के मैच हुए। मैच में एक पार्टी की पतंग दूसरी पार्टी द्वारा काटने पर दूसरी पार्टी के लोग लाउड स्पीकरों से 'वो काटा-वो मारा का शोर करते और जश्न मनाते दिखे। तड़के सवेरे शुरू हुआ पतंगबाजी का यह दौर शाम तक चलेगा।
पतंग उड़ाने वालों के साथ पतंग लूटने वालों का भी अलग अंदाज नजर आया। जब किसी पतंगबाज की पतंग कटती है तो गली व छतों पर बड़े व बच्चे उसे लूटने के लिए दौड़ पड़ते है।
महिलायें भी नही पीछे
पतंग बाजों के साथ-साथ उनके परिवार की महिलाओं ने बच्चों के साथ छतों पर चढ़कर पतंगबाजी का भरपूर आनंद लिया। कोरोनाकाल में अधिक बिकी पतंग
पतंग विक्रेता योगेश विजयवर्गीय ने बताया कि कोराना महामारी के कारण इस बार पतंग व डोर की खूब बिक्री हो रही है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी गाइड-लाइनों की पालन में स्कूल-कॉलेज बंद हैं। जिससे बच्चों को पतंगें उड़ाने के लिए भरपूर समय मिल रहा है। बच्चों के परिजन भी उनके साथ पतंगे उड़ाते हुए नजर आ रहे हैं। जिसके चलते इस बार पतंग व डोर खूब बिक रही है।
रक्षाबंधन से पहले शुरू होता है पतंगबाजी का दौर
पतंगबाजी का दौर रक्षाबंधन से करीब एक-दो माह पूर्व शुरू हो जाता है। विक्रेताओं ने बताया कि कोरोना महामारी व सरकारी सख्ती के कारण इस बार चीन निर्मित मांझे की मांग नही होने के कारण बाजार में बिक्री नहीं हो रही है।
नेताओं से लेकर कलाकारों के आकार, वाली पतंग,
बाजार में कई प्रकार की पतंगें मिल रही हैं। जिनमें राज नेता, फिल्मी कलाकार जानवरों की आकार वाली पतंगे बाजार में उपलब्ध है। तो वही कार्टून पात्रों के चेहरों की भी पतंगे खूब बिक रही हैं।
2 से लेकर 100, 200 रुपये तक की पतंग
पतंगों की कीमत बात करे तो देशी पतंग खेत में अधिक मांग है जिसकी कीमत 10 रूपए है। साथ ही बरेली मुण्डा, अनिश पतंग, शाहरूख, आमिर, सचिन तेंदुलकर, सलमान खान आदि की पतंग 5-5 रूपए में उपलब्ध है। इनके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाली पतंगों की बाजार में अधिक मांग होने के कारण वह 20 रूपए में मिल रही है। पतंगे 2 से लेकर 4, 5, 8,10 और 50 रूपए तक में उपलब्ध है।