पौष्टिकता से भरपूर शाकाहार से भी दूरी बनाना महामारी का कारण- वसुनन्दी महाराज
कामां (भरतपुर,राजस्थान/ हरिओम मीणा) -भौतिकवादी युग में मानव ने अपने खान -पान ,रहन -सहन ,तौर-तरीकों में व्यापक परिवर्तन तो किया ही है। साथ ही पौष्टिकता से भरपूर शाकाहार से भी दूरी बनाई है जिसके कारण वर्तमान में कोरोना महामारी का विकराल रूप दृष्टिगोचर हो रहा है। उक्त उद्गार जैनाचार्य वसुनंदी महाराज ने जम्बूस्वामी की तपोस्थली बोलखेड़ा में व्यक्त किये।
जैनाचार्य ने कहा कि मानव आलसी होने के साथ-साथ ही विलासिता पूर्ण जीवन जीना चाहता है और शारीरिक रूप से कम यांत्रिक रूप से अधिक कार्य कर रहा है। जिसका परिणाम आज संपूर्ण विश्व के समक्ष इम्यूनिटी पावर का कमजोर होना माना जा रहा है। ऐसा नहीं है कि पूर्व में महामारीयां नहीं आई है लेकिन वह अपना इतना व्यापक प्रभाव नहीं दिखा पाई है। उसका मुख्य कारण सादा जीवन के साथ-साथ शाकाहारी आहार भी था जो शारिरिक मानसिक मजबूती प्रदान करता है।
आचार्य ने कहा कि माना वर्तमान में विज्ञान ने अत्यधिक उन्नति की है उसके प्रभाव से अति शीघ्र वैक्सीन एवं दवाइयां भी उपलब्ध हो गई है। किंतु फिर भी सावधानी बहुत ही आवश्यक है। सभी का आह्वान करते हुए कहा कि भगवान महावीर का सिद्धांत जिओ और जीने दो का पालन करें । स्वयं तो सुरक्षित रह कर अपना जीवन यापन करें ही साथ ही महामारी से ग्रसित होने पर घर में ही आइसोलेट होकर दूसरों को भी जीवन दान दें ।यही मूलमंत्र है जिसका पालन करना प्राणी मात्र का धर्म है।