खनन माफियाओं ने बदले रास्ते, ग्रामीणों में दुर्घटनाओं का भय
बयाना (भरतपुर, राजस्थान/ राजीव झालानी)। बयाना क्षेत्र में उच्च स्तरीय खाकी व खादी एवं कथित संगठित खनन माफियाओं के गठजोड के चलते काफी प्रयासांे व सुप्रीप कोर्ट की रोक के बाबजूद संगठित खनन माफियाओं के हौंसले बुलंद है। जो बयाना व रूपवास क्षेत्र के विभिन्न पुलिस थानों व चौकीयों एवं वनविभाग और खनिज विभाग के दफ्तरों व चौकियांे के सामने होकर भी धडल्ले से अवैध खनन सामग्री से ओवर लोड भरे वाहनों को खुलेआम निकालकर ले जाते है। हालांकि स्थानीय स्तर पर लोगों के विरोध व कुछ अधिकारीयों कर्मचारीयों की सख्ती के बाद कई लोगों ने अब अवैध खनन सामग्री के निर्गमन के रास्तों को बदल दिया है। अवैध खनन सामग्री से ओवरलोड भरे यह वाहन अब मुख्य रास्तों के बजाए विभिन्न गांवों में होकर सकरे रास्तों से बयाना की पत्थर मंडी तक पहुंचने लगे है।
अवैध खनन सामग्री से ओवरलोड भरे वाहनों की कतारें जब गांवों में होकर निकलती है तो ग्रामीणों में दुर्घटना की आशंका के चलते भय का माहौल स्वतः ही बन जाता है। शुक्रवार को ऐसा वाक्या उपखंड के गांव सिंघाडा में हुआ जब अवैध खनन सामग्री से ओवरलोड भरी एक ट्रैक्टर ट्रॉली सुबह सवेरे वहां के राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के सामने असंतुलित होकर पलट गई जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की दीवार भी टूटकर क्षतिग्रस्त हो गई और बडा हादसा होने से टल गया। ग्रामीणों ने बताया कि अवैध खनन सामग्री से ओवरलोड भरे ट्रैक्टर ट्रॉलीयों की कतार जब गांव में होकर निकल रही थी। तो एक बेकाबू टैªक्टर ट्रॉली सडक पर पलट गई यह गनिमत रही कि उस समय वहां कोई ग्रामीण या अस्पताल के मरीज मौजूद नही थे। अन्यथा बडा हादसा हो जाता। खनिज व वनविभाग एवं पुलिस को बार बार सूचना देने के बाद भी वहां कोई नही पहुंचा। ग्रामीणों ने अवैध निर्गमन पर रोष व्यक्त करते हुए मिलीभगत के दोषी अधिकारीयों की जांच व उनके विरूद्ध कार्रवाही किए जाने की मांग करते हुए इन वाहनों का गांव में होकर निकलना प्रतिबंधित कराए जाने की मांग की है तथा आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
- कहां कहां से आती है अवैध खनन सामग्रीः-
ग्रामीणों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंधों के बावजूद यहंां के बंधबारैठा, तरबीजपुर, मांगरैन, सिंघनिया, गजनुआ, कोट बाजना, परौआ, कोडापुरा डुमरिया, नगला तुला, वंशीपहाडपुर आदि ग्रामीण क्षेत्रों में इमारती पत्थर का अवैध खनन हो रहा है। जिससे पर्यावरण व सरकारी कोष को भारी नुकसान भी हो रहा है।