शिशु मृत्यु दर को कम करने में वरदान साबित हो रही है नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन
ऋलुपिन के अधिशासी निदेशक सीताराम गुप्ता की पहल पर धौलपुर जिले में 3 नियोनेटल मशीन कराई उपलब्ध,
भुसावर (भरतपुर, राजस्थान/ रामचन्द सैनी) भुसावर में नवजात मृत्यु दर को कम करने के प्रयास बीते कई सालों से किये जा रहे है। और विभाग को इसमें अपेक्षित सफलता भी मिली है। विभाग के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के अलावा बीच बीच मे कई तरह के अभियान भी नवजात मृत्यु दर को कम करने के लिए चलाए जाते है। इन्ही प्रयासों में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कई संस्थाए भी सहयोग कर रही है। इन्ही कुछ गिनी चुनी संस्थाओं में से एक नाम है लुपिन फाउंडेशन का। धौलपुर आकांक्षी जिला घोषित होने के बाद कई प्रकार के कार्य लुपिन के द्वारा किये जा रहे है। जागरूकता कार्यक्रमए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण आयोजित करने के साथ साथ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में अपना सहयोग दे रही है। लुपिन के द्वारा यूँ तो जिले में हर क्षेत्र में बहुत सारे जनकल्याणकारी कार्य किये गए है । लुपिन का लोगो को बेहतर और अच्छी सेवाएं ओर सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर विशेष जोर रहा है। इस कड़ी में जिले के तीन अस्पतालों में शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए भारत मे बनी 3 नियोनेटल रेस्प्रिरेटर मशीन उपलब्ध करवाई गई है। जन्म के समय नवजात शिशु को सांस लेने पर होने वाली परेशानी पर परम्परागत रूप से चिकित्सक और प्रसव कक्ष का नर्सिंग स्टाफ बच्चे को उल्टा कर पीठ पर थप्पी देता था।जिससे बच्चे के मुँह और स्वांस नली मै अटका गन्दा पानी बाहर आयेएऔर बच्चा स्वांस ले सके । इस पदत्ति मैं कभी कभी बच्चे की स्वांस नही आती थी।ऐसे मैं बच्चा मौत का शिकार हो जाता था। लेकिन इस मशीन की वजह से अब इस तरह की परेशानी वाले बच्चो को बचाये जाने का प्रयास किया जा रहा है। यह तीनों नियोनेटल मशीन धौलपुर में शहीद मंगल सिंह जिला अस्पतालए बॉडी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और राजाखेड़ा के शहीद राघवेंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को उपलब्ध करवाई गई है। लुपिन के द्वारा उपलब्ध करवाई गई पूरी तरह से भारत मे बनी यह मशीन सांस लेने में किसी भी प्रकार की तकलीफ वाले नवजात शिशुओं के लिए वरदान साबित हो रही है। एक साथ दो बच्चो को इस से जरूरी ओर आवश्यक मात्रा में ऑक्सिजन दी जा सकती है। उपलब्ध करवाए जाने के बाद से अब तक कुल 1008 नवजातों को इस मशीन की सहायता से लाभ दिया जा चुका है। प्रतिमाह 15 से 20 ऐसे नवजात पैदा होते है जिन्हें साँस लेने में तकलीफ होती है उनके लिए यह मशीन बहुत ही उपयोगी साबित हो रही है। कई बार इस वजह से बच्चे की मौत भी हो जाती है। इस नियोनेटल मशीन की वजह से ऑक्सिजन की कमी या अधिक मात्रा में दिए जाने की वजह से होने वाली मौतों को काफी हद तक कम किया गया है। लुपिन के सुबोध गुप्ता से जब इस मशीन के बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि लुपिन जिला आकांक्षी कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य और पोषण के लिए नीति आयोग के द्वारा निर्धारित किये गए संकेतकों में सुधार को ध्यान में रखकर चिकित्सा विभाग और जिला प्रशासन के साथ मिलकर जिले में कार्य कर रही है। लुपिन के अधिषासी निदेशक सीताराम गुप्ता की पहल पर 3 नियोनेटल मशीन उपलब्ध करवाई गई।
उन्होंने मशीन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि न तो इसे चलाते समय किसी प्रकार का कोई तकनीकी झंझट है और ना ही किसी प्रकार के अन्य संसाधनो की आवश्यकता। बच्चा पैदा होते ही यदि सांस लेने मै तकलीफ महसूस करे तो इस मशीन के मास्क को बच्चे के मुह पर लगाकर तीन मिनट तक रखना है।इसके बाद बच्चे को अपेक्षित ऑक्सीजन मिल जाने से उसकी जिंदगी बचाई जा सकती है।
हैदराबाद में वेज्ञानिको द्वारा निर्मित यह मशीन करीब आठ लाख रुपये की लागत की है।
प्रसब कक्ष के नर्सिंग स्टाफ़ सहित चिकित्सा प्रभारी को इस मशीन को चलाने में प्रशिक्षण भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मशीन को इस्तेमाल करना बहुत आसान हैए एक साथ दो बच्चो के उपयोग में लायी जा सकती है।
प्रमुख चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ गोपाल गोयल ने बताया कि न्यूनेटल मशीन लगने से अस्पताल में मृत्यु दर मैं कमी के साथ साथ इस मशीन से बच्चो को पूरी तरह आक्सीजन मिल जाती है। कभी.कभी पूरी ऑक्सीजन नही मिलने से नवजात शिशु के मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव या शारीरिक रूप से अपाहिज होने की विकृति से भी बचा जा सकता है । उन्होंने बताया कि हर महिने लगभग कम से कम 10 से 15 बच्चों इस समस्या से ग्रसित पेदा होते है जो मशीन के उप्लब्ध होने से बहुत राहत मिली है । उन्होंने बताया कि इस मशीन को प्रयोग में लाना बहुत ही आसान है। और ज्यादा ओर ऑक्सीजन जाने का खतरा भी न रहता है। बस नवजात के मुंह पर मास्क लगाकर ऑकसीजन चालू करना होता है।