माताजी का स्थान नही लेकिन माताजी के नाम से जानी जाती है यह जगह, गांव बाहर रसोई का होता है आयोजन
मेहरू कलाँ (अजमेर, राजस्थान/ बृजेश शर्मा) अजमेर जिले के अंतिम छोर पर बसे छोटे से ग्राम नयागांव मालियों में एक अनोखा आयोजन होता है उक्त आयोजन में ग्राम के सनातन संस्कृति को निभाते हुए जात पात को बुलाकर सर्व समाज एक निश्चित स्थान पर एकत्रित होकर अपना खाना बनाकर एक अनूठी मिशाल पेश करता है, उक्त कार्यक्रम का श्रेय जाता है ग्राम के विशिष्ट स्थान जिसको धूणी माता के स्थान के नाम से जाना जाता है हालांकि वहां किसी माता जी का स्थान नहीं है यह स्थान संत शिरोमणि प्रातः वंदनीय 1008 संत श्री पन्नानाथ जी महाराज की तपोभूमि के नाम से जाना जाता है यह स्थान आज से लगभग 260 साल पूर्व पन्ना नाथ जी ने यहां 12 वर्ष तक अखंड तपस्या की थी संत शिरोमणि का तेज ही था कि आज तक उनके दिए हुए निर्देशों के अनुसार ग्राम के सभी परिवार अपना राशन सामग्री लेकर तपोभूमि के वहां पहुंचते हैं और अपने अपने तरीके से चूरमा बाटी बनाकर संत पन्ना नाथ जी महाराज को भोग लगाते हैं उक्त परंपरा ग्राम के सभी समाज सर्व जाति के द्वारा निभाई जाती है उक्त दिन पन्ना नाथ जी महाराज ने ग्राम के प्रमुख जनों को बुलाकर रेतिले टीबे पर एकत्रित किया वह गांव की सुख समृद्धि के लिए मंगल कामना की व मंगसर सुदी दूज के दिन समस्त ग्राम वासी मेरे इस तपोस्थली पर आकर अपने घर बाहर धुणी माता स्थान पर चूरमा बाटी बनाकर भोग लगाने के लिए प्रेरित किया, आपका गांव की सभी प्रकार की विपदाओ से मुक्त रहेगा ऐसा आज से लगभग 250 वर्ष पहले आदेशित किया तब से लेकर आज तक समस्त ग्रामवासी आदेश की पालना करते आ रहे हैं, जो आज परंपरा का रूप ले चुकी है आज का दिन आसपास क्षेत्रवासियों के लिए विशेष चर्चा का विषय रहता है मान्यता है कि इसी की कारण आज तक ग्राम में ऐसी कोई विकट समस्या ओलावृष्टि या किसी प्रकार की विशेष हानि नहीं हुई है ग्राम वासियों की मान्यता के अनुसार यह सब कृपा माननीय बना नाथ जी महाराज की , मानते हैं उन्हीं की कृपा दृष्टि से गांव में सदैव सुख समृद्धि बनी रहती है संत 12 साल की तपस्या के बाद यहां से अराई तहसील के भामोलाव गांव में जाकर जीवित समाधि ली जिसके प्रमाण अराई पंचायत समिति के भामोलाव गांव में आज भी उक्त संत का जीवित समाधि स्थान स्थापित है पन्ना जी के जीवित रहते कहीं चमत्कार उन्होंने दिखाए थे
जिसमें आज तक बुजुर्गों के मुंह से सुने हुए चर्चे रहते हैं कि कभी बारिश नहीं होती तो पन्ना नाथ जी महाराज स्नान करते करते ही कह देते थे कि चलो बारिश आने वाली है आप सब घर चलो नहीं तो भीग जाओगे और कई बार ऐसा ही होता था कि जैसे ही बना नाथ जी महाराज स्नान करके निर्वत होकर अपने कुटिया में पहुंचते तब तक गांव में बारिश हो जाती थी ऐसे कई चर्चे गांव में प्रचलित है ऐसी परंपरा को निभाते हुए आज पन्ना नाथ जी महाराज के सभी गांव वाले अपना खाना वही तपोस्थली पर जाकर बनाएंगे और बना नाथ जी महाराज की धुणी में अपना अन्न भोग लगाकर सुख समृद्धि की कामना करेंगे यह अद्भुत दृश्य ही रहेगा कि उक्त स्थान पर लगभग ढाई सौ परिवार अपना अपना जगरा लगाकर लड्डू बाटी चूरमा बनाएंगे तो एक दर्शनीय और एकता का प्रतीक समूह बनेगा एक गांव से निकलकर इसी गांव से लगभग 30-40 किलोमीटर दूर बसे हुए यहां के बाशिंदे जो जो नए गांव बसा कर रह रहे हैं सापला ग्राम पंचायत में कल्याणपुरा गांव और टोंक जिले में श्रीनगर नाम से गांव है वह भी आज के दिन इसी परंपरा को निभाते हुए वही भोग लगाकर अपनी सुख समृद्धि की कामना करते हैं।