ब्रज के पर्वतों पर हो रहे खनन के विरुद्ध में आदिबद्री मंदिर में हुई पंचायत, 20 गावों के सरपंचों ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
आन्दोलन को व्यापक रूप देने के लिए हुए समन्वय समिति का गठन
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) आदिबद्री क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चल रहे विनाशकारी खनन के विरोध में ग्राम पसोपा में अनिश्चतकालीन धरने के 16वे दिन रविवार को ब्रज के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल आदिबद्री धाम में 20 ग्राम पंचायत के सरपंचों व वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों की एक पंचायत हुई जिसमें आन्दोलन को व्यापक व प्रभावशाली बनाने पर महत्वपूर्ण चर्चा की गयी। पंचायत में आन्दोलन के सफल संचालन के लिए आदिबद्री धाम के महंत शिवराम दास बाबा की अध्यक्षता में ब्रज पर्वत व पर्यावरण संरक्षण समिति के नाम से एक समन्वय समिति का गठन भी किया गया जिसमे इस आन्दोलन से जुड़े सभी ग्राम पंचायतों के सरपंच, हाजी एवं जनप्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। साथ ही 20 ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने अपनी-अपनी पंचायत के तरफ से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर ब्रज की जनता पर खनन के कारण हो रहे अन्याय के बारे में अवगत कराते हुए अविलम्ब कंकाचल व आदिबद्री पर्वत को खनन मुक्त करने की बात कही है। पत्र में उन्होंने यह भी लिखा है कि उक्त पर्वतों के आस पास के गावों की समस्त पंचायतें इस खनन से त्रस्त व खिलाफ में हैं एवं प्रशासन की अनदेखी की कड़े शब्दों में भर्त्सना करती है । उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन गावों में से किसी को भी खनन कार्य से कोई भी रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा है । बैठक में मानमंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने खनन विभाग व जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि अगर ब्रज के पर्वतों पर वर्षों से हो रहे अवैध खनन का कच्चा चिठा खोला जायेगा तो स्थानीय प्रशासन व खान विभाग के अधिकतर अधिकारीयों के खिलाफ, राज्य सरकार को करोड़ों रूपये के राजस्व का नुकसान पहुचाने के आरोप में सख्त कार्यवाही की जा सकती है, लेकिन स्थानीय जनता अब जो बचा है उसे संरक्षित करवाना चाहती इसलिए हमारे द्वारा करोड़ों रुपए के इस संवदेनशील घोटाले को तूल नहीं दिया जा रहा है। जब हमारी आस्था के केंद्र इन पर्वतों का अस्तित्व विनाशकारी खनन के चलते मिट जायेगा तब सरकारी राजस्व कहां से आएगा । क्या कोई अपनी संस्कृति को, अपने धर्म को, अपने गौरवपूर्ण इतिहास के प्रतीकों को को बेच कर –नष्ट कर झूठा राजस्व इक्कठा करता है । उन्होंने कहा नवम्बर 2009 में जो विशाल जन आन्दोलन हुआ था इसके बाद डीग और कामां के पहाड़ों को तत्कालीन काग्रेस की सरकार ने संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया था, उन्होंने चेतावनी दी की वर्तमान आन्दोलन अब उससे भी अधिक व्यापक और उग्र होगा । किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहन सिंह ने कहा कि डीग, कामां व नगर तहसील का समूचा किसान वर्ग ब्रज के पर्वतों को बचाने के इस आंदोलन में हर प्रकार से सहयोग और कुर्बानी देने के लिए तैयार है । उन्होंने विश्वास दिलाया कि बड़ी संख्या में भरतपुर जिले का किसान आवश्यकता पड़ने पर आन्दोनल में अपनी जान झोंक देगा । पंचायत में मुख्य रूप आदिबद्री धाम के महंत शिवराम दास, पूर्व विधायक गोपी गुर्जर, मानमंदिर के सचिव ब्रजदास, सुल्तान सरपंच, विजय सरपंच, मोहन सिंह ,महावीर सौरभ भाऊ, गुल्ले पहलवान ,पन्नालाल बलराम ,रफीक सरपंच जलाल खां सरपंच गिरिराज जाटव सरपंच, राधे श्याम आदि लोग मौजूद थे । इधर पसोपा गाँव में स्थित धरना स्थल पर भी रविवार को दिन भर धरने के समर्थन में जनप्रतिनिधियों का आना जाना लगा रहा व साधु एवं आंदोलनकारियों द्वारा अलग-अलग टोली बना कर कई गावों में संपर्क किया गया ।