पुलिस को मारने व धमकी देने वाला राजू फौजी एनकाउंटर से था भयभीत, पैसा बटोर कर गुजरात में बना रहा था नेटवर्क
भीलवाड़ा (राजस्थान/ बृजेश शर्मा) भीलवाड़ा जिले के दो सिपाहियों का हत्यारा तस्कर राजू फौजी खुद के एनकाउंटर से डरता था। भले ही वो पुलिस को मरने या मारने को धमकी देता था, लेकिन अपने साथियों की गिरफ्तारी के बाद वह इतना डरा था कि उसने अपना हुलिया बदल दिया। उसने अपना हेयर ट्रांसप्लांट कराया और मजदूर बनकर इधर-उधर छिपता फिर रहा था। उसे पुलिस और कैलाश मांजू दोनों का ख़तरा था। आखिर में जब पुलिस ने उसे जोधपुर में घेरा तो गिड़गिड़ाने लगा। अपनी जान की भीख मांगने लगा, बोला- गोली मत मारना।
दरअसल, पुलिस ने पहले उसके पाइनेंसर्स को रडार पर लिए। उसके नेटवर्क को कमजोर किया। राजू फैजी की हालत ऐसी कर दी कि लग्जरी कार में सफर करने वाला तस्कर बाइक पर आ गया। पुलिस पिछले तीन महीने से उसके हर मूवमेंट पर नजर रख रही थी। हत्या के बाद वह यहां वहां छिपता रहा। छिपने के सभी ठिकानों पर पुलिस ने अपना नेटवर्क खड़ा कर दिया। वह इतना मजबूर हो गया कि हेयर ट्रांसप्लांट करवा अपना हुलिया बदल दिया। वह अपनी जान की रिस्क बिल्कुल भी नहीं लेना चाहता था। इसलिए उसने अपने आप को मजदूरों जैसा बना लिया। छिपने के ठिकाने भी गाय भैंस के तबेले और आबादी से दूर होते थे। वह पिछले एक महीने से जोधपुर में रहकर अपनी पुरानी उधारी वसूली कर रहा था। उसे यह भी पता था कि जिन-जिन लोगों से वह डोडा पोस्त पैसों की वसूली करने जा रहा है। वह उसकी सूचना पुलिस को दे सकते हैं। ऐसे में बाइक लेकर वह रात को अचानक ही उन लोगों के घर पहुंच जाता था, लेकिन आखिर में जब अपने आप को पुलिस से घिरा देखा तो वह गिड़गिड़ाने लगा।
- अकेले ही छिपता रहा, गुजरात में नेटवर्क तैयार करना चाहता था
पुलिस ने बताया कि पिछले तीन महीनों से फेजी को जान का ऐसा खतरा हुआ कि उसने अपने सभी साथियों का साथ छोड़ दिया। वह अचानक ही उनसे मिलता और बाइक पर निकल जाता था। एक दिन से ज्यादा किसी के यहां नहीं रुकता। इसके साथ ही वह खरीदारों का नेटवर्क गुजरात में खड़ा करना चाहता था। इसी को लेकर वह 11 नवंबर से 15 नवंबर तक अहमदाबाद में ही था। यहीं से वह पुलिस की रडार पर आ गया था।
- डर इतना कि राजू बोलते ही चला दी गोली
फेजी का पीछा कर रहे भीमगंज थाना प्रभारी सुरजीत ने बताया कि राजू फौजी को अपनी जान का डर ज्यादा था। शनिवार तड़के जब वह लूणाराम के घर आया तो थाना प्रभारी सूरजीत ने उसको पीछे से ओ राजू आवाज लगाई तो उसने सीधे ही गोली चला दी। ऐसे में सुरजीत, कॉन्स्टेबल संजय व उषाराम ने उसका पीछा कर उसे पकड़ दिया। इस दौरान भी वह गिड़गिड़ाता रहा कि गोली मत मारना।
- तीन राज्यों में काटी फरारी, पाबूराम और इसके बादद राकेश जाट ने खोल दी पोल
पुलिस की अभी तक की जांच में सामने आया है कि फैजी ने इन 8 महीने में ज्यादा फारी जोधपुर व बाड़मेर के इलाकों में ही निकाली है। इसके अलावा फौजी ने झारखंड व मणिपुर में अपने सम्पर्क के तस्करों के बीच फारी काटी थी। इसे पकड़ने में सबसे ज्यादा मददगार पाबूराम और राकेश जाट हुए। पाबुराम से झगड़ा होने के बाद उसने पुलिस को फैजी सभी ठिकानों के बारे में बता दिया। जब पुलिस को लीड मिली की वो अहमदाबाद हो सकता है तो पुलिस लगातार फैजी से जुड़े लोगों पर नजर बनाए हुए थी। फौजी 11 नवंबर को जोधपुर में रहने वाले राकेश जाट नाम के युवक के साथ भगत की कोठी से अहमदाबाद ट्रेन से गया था। वहां पांच दिनों तक रुककर उसने अफीम के खरीदारों की तलाश की थी। इसके बाद वह 15 नवंबर को राकेश के साथ अहमदाबाद से लौट आया था। इसकी जानकारी मिलते से पुलिस ने राकेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की और उसके बाद फैजी पुलिस की रडार पर आ गया था।
- अफीम की कर रहा था तस्करी
पुलिस ने बताया कि दो कांस्टेबल को मारने के बाद भी उसने तस्करी नहीं छोड़ी। वह खुद कभी तस्करी करने नहीं गया, लेकिन उसके संपर्क के तस्करों से डोडा पोस्त लेकर अपने ग्राहकों को सप्लाई कर रहा था। इसके साथ ही उसने अफीम के दूध की तस्करी शुरू कर दी थी। कम मात्रा होने से वह जेब में या बैग में अफीम लेकर कहीं भी सप्लाई करने चला जाता था। उसका भी पैसा अच्छा मिल जाता था।