कस्बे की सुरक्षा राम भरोसे, सीएलजी की बैठक में लिए गए निर्णय हवा हवाई
खतरनाक कैमिकल से भरे टैंकर से बारूद के दहाने पर बैठा हुआ है शहर
खैरथल (अलवर, राजस्थान/ हीरालाल भूरानी ) अलवर जिले के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र एवं उत्तर भारत की प्रमुख मण्डी खैरथल में एक मात्र रेलवे फाटक का कोई विकल्प नहीं होना बड़े हादसों को खुला निमंत्रण देने जैसा बन गया है।रात-दिन खतरनाक कैमिकल से भरे टैंकर बीच बाज़ार से गुजरने व जाम मेंं फंसे हुए रहने से यह शहर बारूद के दहाने पर बैठा हुआ है। एक लाख की आबादी और पांच उपखण्डों का केंद्र बिन्दु कहलाने वाले इस शहर की आबादी के बीच एक मात्र रेलवे फाटक और थोड़ी दूरी पर संकरा और विकट घुमावदार रेल अंडर ब्रिज है जो यातायात के भारी दबाव को सहन करने में नाकाफी होने से हर समय जाम के हालातों से जूझता रहता है। ट्रेक्टरों के भी इसी में घुसने से हालात बिगड़ते रहते हैं। सीएलजी की बैठक में पुलिस उप अधीक्षक व थानाधिकारी द्वारा हर बार आश्वासन दिया जाता है कि कस्बे की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े निर्णय लिए जाएंगे कस्बे में लगने वाले लंबे जाम की समस्या का समाधान किया जाएगा इन बड़े भारी वाहनों को बाईपास से निकाला जाएगा लेकिन आज भी पुलिस की मौजूदगी में ओवरलोड व केमिकल से भरे बड़े- बड़े वाहन शहर के मुख्य बाजारों से गुजर रहे हैं आखिर इन वाहनों को किसकी शह पर निकाले जा रहे हैं इसका जिम्मेदार कौन है। सीएलजी की बैठक में लिए गए निर्णय को गंभीरता से क्यों नहीं लिया जा रहा है या फिर सीएलजी की बैठक महज खानापूर्ति के लिए की जाती हैं। आखिर खैरथल की जनता को इस समस्या से कब छुटकारा मिलेगा। जयपुर-दिल्ली मार्ग पर पड़ने वाले इस रूट पर करीब 49 यात्री गाड़ियों के अलावा इतनी ही मालगाड़ी गुजरने से अनुमान लगाया जा सकता है कि रेलवे फाटक कितने समय तक बन्द रहता होगा। जबकि अंडरपास से केवल छोटे वाहनों की आवाजाही हो पाती है वहां भी कोई नियंत्रण नहीं होने से वाहन चालक आपस में घंटों उलझे रहते हैं, कभी कभी आपस में हाथापाई तक की नौबत आती रहती है। इस रेलवे फाटक के विकल्प के तौर पर फाटक संख्या 92 और 91से जुड़ने वाली सड़कों की हालत गंभीर होने तथा फाटक संख्या 94 को विभाग द्वारा बन्द कर दिये जाने से उनका नाम मात्र उपयोग किया जाता है। खैरथल विकास मंच की ओर से सरकार का अनेकों बार ध्यानाकर्षण किए जाने का भी कोई नतीजा नहीं निकला ऐसे में वाहन चालकों को घंटों खड़े रह कर मार्ग प्रशस्त होने की इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है परंतु राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 से भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र में जाने वाले बेइंतहा वाहनों में खतरनाक कैमिकल से भरे टैंकर बीच बाज़ार में खड़े रहने से बड़ी दुर्घटनाओं को खुला निमंत्रण दिये जाने के समान है। सरकार की ओर से बनाए जा रहे बाईपास सड़क पर पड़ने वाले रेलवे फाटक संख्या 94 को कुछ वर्षों से पूर्व बंद कर दिया गया था और अब वहां विशाल रेलयार्ड का निर्माण किये जाने से इसका खुलना संशय में पड़ता दिखाई दे रहा है। प्रशासन इस समस्या से भली भांति परिचित होने के बावजूद भी कोई समाधान नहीं निकला। देश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी और धारुहेड़ा को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने वाले इस मार्ग पर खैरथल में ओवरब्रिज निर्माण ही एक मात्र उपाय है। एनसीआर में शामिल इस शहर में ओवरब्रिज निर्माण की योजना बनाई जानी चाहिए।