आज है गोवर्धन पर्व, दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है यह पर्व
दीपावली के अगले दिन आने वाला गोवर्धन पर्व इस बार आज 15 नवम्बर को है दीपावली के अगले दिन गोवर्धन जी की पूजा की जाती है|
हिन्दू शस्त्रों में लिखा गया है की गौ माता लक्ष्मी जी का स्वरूप हैं।
जिस प्रकार मां लक्ष्मी हमें धन वैभव सुख समृद्धि प्रदान करती हैं| ऐसे ही गौ माता भी हमारे जीवन की रक्षा करती हैं जिस प्रकार गाय का दूध निरोगी माना जाता है इसके सेवन से कोई बीमारी नहीं होती और हमारी बुद्धि भी तेज होती है, उसी प्रकार गौ माता का गोबर भोजन पकाने के काम भी आता था और गायों का बछड़ा बड़ा होकर खेत में हल जोतने के काम आता था साथ ही अनाज के उत्पादन में भागीदारी देता
द्वापरयुग में देवराज इंद्र की पूजा की जाती थी एक दिन गोकुल में सभी गांव वाले इंद्र देव की पूजा में व्यस्त थे तब कृष्ण जी ने अज्ञानता वश पूछा की “ मैया ये किसकी पूजा कर रही हो” तब माता ने बड़े से प्यार से बेटे को बताया कि “हम देव राज इंद्र की पूजा कर रही है ताकि वो हमारी पूजा से प्रसन्न हो कर बारिश करे जिससे हमारी फसले अच्छी होगी और अच्छी फसल होने से हमारे गांव में सुख और समृद्धि आएगी'.......
तब भगवान् कृष्ण ने कहा की हमें गाय की पूजा करनी चाहिए न की इंद्र देव की उनकी इस बात से देव राज इंद्र नाराज हो गए और गुस्से में उन्होंने गोकुल में आंधी तूफान और वर्षा शुरू कर दी तब गोकुल निवासियों को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की अपने हाथ की सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया |
सारे पशु , पक्षी , गांव वाले गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गये ओर अगले सात दिन तक बारिश नहीं रुकी तब इंद्र देव को अपनी गलती का अहसास हुआ की यह कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं। ये तो स्वयं विष्णु जी के अवतार हैं उसके बाद इंद्र देव ने भगवान कृष्ण जी से माफ़ी मांगी और तभी से गोवर्धन जी महाराज की पूजा शुरू हो गई उस दिन के बाद से अन्न कूट और पूरी के प्रसाद से गोरधन को भोग लगाया जाता है।
पूजा करने की विधि :
इस दिन ब्रह्म महूर्त में स्नान करने के बाद गाय का गोबर लाएं जिस स्थान पर गोवर्धन जी की पूजा करनी है उस स्थान को अच्छी तरह से साफ़ कर लें। फिर उस स्थान पर गोवर्धन बना ले
अगर आपके घर में गाय, भैस, बैल, है तो सुबह सवेरे उन्हें स्नान करा कर उनके गले में नई घंटी और रस्सी बांधनी चाहियें और उनका तिलक करके गुड़, चावल और मिठाई खिलाने के बाद आरती उतारे और शाम को प्रसाद के लिए खीर, हलुवा, पूरी, और अन्न कूट (सभी सब्जियों को मिला कर बनाई हुई) की सब्जी बनाएं और शाम को घर के सभी पुरुष और बच्चे मिल कर गोवर्धन बाबा की पूजा करें
पूजा की थाली में देशी घी का दीया, धूप, अगरबत्ती, बताशे, एक कटोरी में हलुवा , एक कटोरी में खीर, एक कटोरी में पंचामृत ( गंगा जल, दूध, शहद, दही, तुलसी के पत्ते, शक्कर) एक कटोरी में अन्नकूट की सब्जी और पूरी ले| एक जल का लोटा , और अपने हाथो में खील लेले|
गोवर्धन जी महाराज को खीर, पूरी , हलुवे का और सब्जी का भोग लगायें फिर परिवार के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करे , उसके बाद गोवर्धन बाबा के चारो तरफ परिक्रमा लगाएँ और इस दिन को विश्वकर्मा दिवस के रूप में मनाया जाता है| इस दिन सभी फक्ट्री और कारखाने जो जिस भी व्यवसाय में वो सब बंद रहते है और वे सब उस दिन अपने औजारों की पूजा करते है गोवर्धन का त्यौहार मनाने से घर में सुख, समृद्धि और सम्पन्नता आती है।
तेज आवाज व रोशनी वाले पटाखे न चलाएं , प्रशासन का सहयोग करे ।