कार्यकर्ता अधिवेशन और संतो की पंचायत आज तय की जाएगी आगे की रणनीति
आचार संहिता खत्म,अब आंदोलन संहिता लागू; सरकार ने नहीं लिया निर्णय तो अब भारी पड़ेंगे संत और ब्रजवासी - राधा कांत शास्त्री
सरकार आदिबद्री और कंकाँचल को संरक्षित करें अन्यथा संत पुनः करेंगे विराट आमरण अनशन - मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज
ड़ीग (भरतपुर, राजस्थान/ पदम जैन) कनकाचल व आदिबद्री पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के खिलाफ चल रहे धरने के 234 वे दिन रविवार को ड़ीग के गांव पसोपा में धरना स्थल पर सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की बैठक हुई जिसमें सोमवार को होने वाली संतों की पंचायत व कार्यकर्ता अधिवेशन की तैयारी को अंतिम रूप दिया गया ।
संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने धरना स्थल पर मौजूद आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सोमवार को संतों की पंचायत बुलाई जा रही है जिसमें ब्रज के प्रमुख संत हिस्सा लेंगे तथा उन्हीं के निर्देश पर आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने बताया कि संत पंचायत के साथ ही सोमवार को ही होने वाले सक्रिय कार्यकर्ता अधिवेशन की अध्यक्षता वि
ब्रज के प्रसिद्ध संत मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास जी महाराज करेंगे। संत पंचायत में बरसाना के विरक्त संत रमेश बाबा महाराज की भी आने की पूर्ण संभावना है। उन्होंने सरकार को कठोर संदेश देते हुए कहा कि अब आचार संहिता समाप्त हो चुकी और अगर अब भी संतों व ब्रजवासियों की मांग नहीं मानी तो अब लागू होगी आंदोलन संहिता। पर अब साधु-संत व बृजवासी सरकार पर बहुत भारी पड़ेंगे। सक्रिय सदस्यता अभियान के संयोजक ब्रजकिशोर बाबा ने बताया कि सोमवार को कार्यकर्ता अधिवेशन में 75 से अधिक गांवों के प्रमुख सक्रिय सदस्य व पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। जहां उन्हें आंदोलन की संपूर्ण जानकारी देते हुए ब्रजभूमि को किस प्रकार विकसित करना है इस विषय में साधु संत, क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व विशेषज्ञ उन्हें विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
जड़खोर गोधाम में रविवार को संपन्न हुई सत्याग्रहीयों के विशेष बैठक को सबोधित करते हुए मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि सरकार साधु-संतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए शीघ्र दोनों पर्वतों के संरक्षण के लिए निर्णायक बैठक कर इनके संरक्षण व संवर्धन का मार्ग प्रशस्त करे। अन्यथा साधु संतों को पुनः आमरण अनशन जैसा कठोर कदम उठाने को मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि साधु संत जब कोई मुद्दा उठाते हैं या सत्याग्रह करते हैं तो उसमें पूरे विश्व का हित होता है, इस बात को समझते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री चाहिए कि वह अविलंब साधु-संतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए कनकाचल एवं आदिबद्री को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित करें।
धरना स्थल पर चल रही भागवत कथा के छठे दिन रविवार को भारी संख्या में मोजूद ब्रज की महिलाओं ने ब्रज के दोनों पर्वत आदिबद्री व कनकाचल को खनन मुक्त कराने की अंतिम लड़ाई में ब्रजवासियों व साधु संतों का हर कदम पर एवं हर प्रकार से सहयोग देने के की शपथ लेते हुए चेताया कि अगर सरकार नहीं मानी तो इस बार ब्रज की महिलाएं सरकार को ब्रज की वीरांगनाओं की शक्ति से परिचय करवाएंगी । वही भागवत कथा के माध्यम से भगवान कृष्ण की लीलाओं का चित्रण करते हुए साध्वी गौरी ने कहा कि भगवान कृष्ण का अवतार पृथ्वी की प्रकृति, पर्यावरण की रक्षा एवं भक्तो पर अनुग्रह करने के लिए हुआ था। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी समस्त लीलाओं से पर्यावरण व प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन का ही संदेश दिया है, चाहे कालिया नाग का मर्दन करके यमुना नदी को स्वच्छ करना हो, या फिर व्योमासुर को नष्ट कर पर्यावरण को शुद्ध करना अथवा भौमासुर का नाश करके ब्रज के पर्वतों का संरक्षण करना हो, यह सब लीलाएं हमें प्रेरित करती हैं हम सब भगवान श्रीकृष्ण के संदेश को समझते हुए ब्रज की प्रकृति, पर्यावरण, पौराणिक संपदा, पर्वतों के संरक्षण व विकास के लिए सतत लगे रहे। रविवार को फूलवती, श्यामा, शांति, मंजू, रामवती ब्रज बालाए क्रमिक अनशन पर बैठीं ।