धीरज गुर्जर व गोपीचंद मीणा में से किसके सिर बंधेगा जीत का सेहरा, अलाव जलाकर हार जीत पर चर्चा में जुटे लोग
जहाजपुर (आज़ाद नेब) आखिर वह घड़ी आ ही गई जिसका क्षेत्र की जनता लंबे समय से इंतजार कर रही थी। विधानसभा चुनाव के बाद पिछले चार दिनों से लोगों द्वारा लगातार जीत हार के कयास लगाए जा रहे हैं, कोई भाजपा प्रत्याशी गोपीचंद मीणा की जीत पक्की बता रहा है तो कोई कांग्रेस प्रत्याशी धीरज गुर्जर की जीत तय बता रहा है। यही नहीं दोनों ही प्रत्याशी अपनी-अपने जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं, ऐसे में लोग बेसब्री से मतगणना का इंतजार कर रहे हैं। तीन दिसंबर सुबह 8 बजे से राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय भीलवाड़ा में मतगणना प्रारंभ होगी, इसके लिए जहाजपुर सहित जिले भर के लोग भीलवाड़ा जाने की तैयारी में जुट गए हैं। चाय की दुकान हो या गली मोहल्ले में अलाव जलाते लोग भाजपा कांग्रेस की जीत हार को लेकर शर्तें लग रहे हैं तो कई पार्टी की रूपरेखा बनाने में जुट गए हैं। शाहपुरा ज़िले की सबसे चर्चित सीट जहाजपुर विधानसभा से बीज निगम अध्यक्ष व मंत्री धीरज गुर्जर तथा विधायक गोपीचंद मीणा के बीच जोरदार मुकाबला देखने को मिला, जिसको देखते हुए अभी भी कई लोग असमंजस की स्थिति बता रहे हैं। आपसी बैठकों में कभी ठहाकों के स्वर सुनाई देते हैं, तो कभी एक-दूसरे को ताने मार देते हैं। जीत-हार के दावे के बीच कोई शर्त लगाने की चुनौती भी दे रहे हैं। जहाजपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के समर्थक जीत के आंकड़े गिना रहे हैं, तो कांग्रेस समर्थक सरकार की योजनाओं के बल पर जीत के लिए आशान्वित नजर आ रहे हैं।
सबकी जुबां पर चुनाव की चर्चा :-
मतदान के चौथे दिन हालांकि सभी की जुबां पर चुनाव की चर्चा है कौन जीतेगा, कौन हारेगा किसका दबदबा रहेगा तथा जीत-हार में कितना अंतर होगा। प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी तथा किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर चर्चा की जा रही है, विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब सभी की जुबान पर हार-जीत की समीक्षा का दौर तेजी से शुरू हो गया है। वहीं राजनीतिक पंडित भी अपना गुणा-भाग कर चुनावों के परिणाम निकालने लगे हैं और जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इस पर भी हर घंटे लोगों के दावे बदलने लगे हैं। दूसरी ओर मतदाताओं की चुप्पी ने भी प्रत्याशियों व राजनीतिक दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
हार-जीत को लेकर लगने लगी शर्तें :-
चुनाव के इस दौर में हार-जीत के लिए अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक शर्तों का भी दौर शुरू हो गया है। 100 रुपए से लेकर लाखों रुपये तक की बाजियां लगने लगी है। जीत व हार के मंथन के बीच दावों को लेकर लोगों की तकरारें भी बढ़ गई है और बातों ही बातों में लोगों के सुर भी तेज होते जा रहे हैं। जीत पर अड़े रहने के कारण दावे को लेकर तल्खियाँ भी बढ़ गई है। गांव से लेकर शहर तक अमूमन यही स्थिति है कि चुनाव के बाद हार-जीत के मामले को लेकर हो रही बहसें विवाद का रूप भी लेने लगी हैं।
महिलाओं के ज्यादा मतदान से बिगड़े समीकरण :-
विधानसभा चुनाव में महिलाओं द्वारा मतदान के प्रति ज्यादा जागरूकता से राजनीतिक गलियारों की चर्चाएं तो गर्म है हीं, वहीं जोड़-घटाओ लगाने वाले राजनीतिक पंडित भी असमंजस में हैं। हालांकि राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो तीन दिसम्बर को ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि महिलाओं के ज़्यादा मतदान से कईयों के समीकरण बनने बिगड़ने लगे हैं। अपने-अपने दावे व प्रति दावों के बीच दोनों ही राजनीतिक दल भारी मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं। जहां कांग्रेस समर्थक सरकार की योजनाओं व विकास कार्यों से इसे जोड़ कर देख रहे हैं, तो भाजपा इसे बदलाव का संकेत मान रही है दूसरी ओर कई लोगों ने अपने स्तर पर जीत के जश्न की तैयारी प्रारंभ कर दी है। भाजपा और कांग्रेस समर्थक जश्न की तैयारी में जुटे हुए हैं। तीन दिसंबर को कौन सी पार्टी के समर्थकों को जश्न मनाने का मौका मिलेगा और किसको निराशा हाथ लगेगी यह तो दोपहर बाद तक ही पता चल पाएगा फिलहाल तो जीत हार की गणित में चर्चा करने पर लोग जुटे हुए हैं।