लापरवाही: ग्राम पंचायत व जलदाय विभाग द्वारा 9 माह पूर्व तोड़ी गई सरकारी स्कूल की दीवार, शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कर रहे लीपापोती
आवारा पशु भी घूमते रहते है स्कूल परिसर मे और पेड पौधो को पहुंचाते है नुकसान -- एसडीएमसी सदस्य हेमलता
रैणी (अलवर, राजस्थान/ महेश चन्द मीना) अलवर जिले के रैणी उपखण्ड क्षेत्र की सरकारी मिडल स्कूल खोहरा चौहान की दीवार पिछले 9--10 माह पहले ग्राम पंचायत-बैरेर द्वारा तथा जलदाय विभाग द्वारा स्कूल बाउण्ड्री के अन्दर बोरिंग कराई थी तो उस समय जब बोरिंग गाड़ी आई थी तो दीवार को तोड़ना पडा था लेकिन 10 माह बीत जाने के बाद भी ना तो पंचायत सरपंच द्वारा ही दीवार को ठीक कराया गया है और ना ही जलदाय विभाग की तरफ से ही दीवार को चिनवाया गया है। जबकि जल जीवन मिशन योजना के तहत दो बोरिंग स्कूल परिसर मे बाउण्ड्री के अन्दर ही कराये गये है ऐसे मे तो भविष्य मे भी बोरिंग पर कभी भी बडी बोरिंग गाड़ी को आने जाने की भी आवश्यकता पड सकती है इसलिए दुसरा चौडा सा गेट ही बना देना चाहिए जिससे भविष्य मे भी कभी भी जल जीवन मिशन योजना के बोरिंग पर भी गाड़ी आ जा सकती है अन्यथा हर बार ही दीवार को तोडना पडेगा।
मिडिया को एसडीएमसी सदस्य व पूर्व वार्ड पंच हेमलता ने बताया कि पिछले 9--10 माह से स्कूल बाउण्ड्री के अन्दर स्कूल छुट्टी होने के बाद आवारा पशु घूमते रहते है और पेड पौधो को भी नुकसान पहुंचाते रहते है लेकिन स्थानीय सरपंच के तो इस बात की परवाह ही नही है।
ऐसे मे मिडिया के माध्यम से सम्बन्धित उच्चाधिकारियो को इस सम्बन्ध मे अवगत कराया जाता है कि इसके लिए आखिर जिम्मेदार कौन है,,,???
क्यो नही 9--10 माह से ध्यान दिया जा रहा है इस सम्बन्ध मे यह एक विचारणीय बिन्दू है।
वैसे स्थानीय सरपंच केन्द्र सिंह राजपूत भी खोहरा चौहान का ही निवासी ही है लेकिन शायद उसको तो यह दिखाई ही नही दे रहा है यह स्कूल की दीवार ,,,,,
मिडिया को यह सारी जानकारी खोहरा चौहान स्कूल की एसडीएमसी सदस्य व पूर्व वार्ड पंच हेमलता के द्वारा दी गई है और हेमलता ने मिडिया को यह भी बताया कि यह खबर जनहित मे है इसमे मेरा कोई निजी स्वार्थ नही है यह आमजन के हित मे है इसलिए सम्बन्धित उच्चाधिकारियो को इस और तुरंत प्रभाव से ध्यान देना चाहिए। मिडिया को एसडीएमसी सदस्य ने यह भी बताया है कि इस सम्बन्ध मे अलवर जिला कलेक्टर व मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार को भी मैसेज भेजा जा चुका है लेकिन अब आगामी समय मे देखने की बात है कि सम्बन्धित उच्चाधिकारीगण इस और ध्यान देते है अथवा लीपापोती कर नजर अंदाज कर देते है।