जिसके दिल में रहता हूँ कमबख्त वो ही पता पूछती है - कवि योगसा

अखिल मेवाड़ जाट महासभा की तरफ से भोर तक चला कवि सम्मेलन

Sep 6, 2022 - 19:36
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जिसके दिल में रहता हूँ कमबख्त वो ही पता पूछती है - कवि योगसा
जिसके दिल में रहता हूँ कमबख्त वो ही पता पूछती है - कवि योगसा

रायपुर (भीलवाड़ा, राजस्थान/ राजकुमार गोयल) अखिल मेवाड़ जाट महासभा की ओर से कस्बे के महाराणा स्कूल के प्रांगण में तेजादशमी के अवसर पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। भोर तक चले कवि सम्मेलन में देशभर से आए कवियों ने वीर, हास्य और शृंगार रस की कविताएँ प्रस्तुत कर श्रोताओं से खूब तालियाँ बटोरी। आयोजक अखिल मेवाड़ जाट महासभा के पदाधिकारियों ने कवियों का सत्कार किया। उदयपुर के सूत्रधार कवि राव अजातशत्रु ने कवियों के व्यक्तित्व - कृतित्व से रूबरू करवाया। कवि सम्मेलन में गीत - गज़़ल विधाएं छायी रही। नागपुर से आई कवयित्री श्रद्धा शौर्य ने ईश वन्दना कर काव्यपाठ की शुरुआत की।  उनकी कविता 'अवधी की धूली का कण-कण कहता है राम राम राम राम' ने श्रोताओं में रामभक्ति का जोश भर दिया। युवा कवि दिलखुश राव सुरास ने 'मेरे अपनों की आँखें भरी रह गई, सारी दौलत धरी की धरी रह गई' कविता सुनाकर परिपक्वता का परिचय दिया। भीलवाड़ा के पैरोडीकार संजीव सजल ने 'नेता कुर्सी के हैं दीवाने, पहने प्लेन कुर्ते पाजामे' सुनाकर श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। अंचल के प्रयोगधर्मी रचनाकार और यूनिवर्सिटी परीक्षाओं में सर्वाधिक प्राप्तांक का विश्वरिकॉर्ड बनाने वाले गीतकार योगेश दाधीच योगसा ने 'हमको सिर्फ आपका ही साथ चाहिए और खुद करके गलती वो मुझसे मेरी खता पूछती है' जैसे मुक्तकों से युवाओं को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर दिया। नाथद्वारा के कवि लोकेश महाकाली ने 'बेटा हीरा सा लगे, बेटियां भी मोती रे और 
लगता हूँ मैं छह फीट पार, पल्ले पड़ गई ठिगनी नार' सुनाई तो श्रोता हँस हँसकर लोटपोट हो गए। संयोजक गौभक्त कवि रामेश्वर रमेश ने गौमाता पर लिखा राजस्थानी गीत 'भाई मारां बाँटा कुण की नाळो रे, देश को कल्याण छाओ तो गायां पाळो रे' सुनाकर वर्तमान में गौपालन के महत्त्व को प्रकट किया। राव अजातशत्रु ने 'बेचारे पुलिस वाले रोते-रोते कहते हैं,  
हमारी दुकान पर कम लोग आते हैं और सूनी सूनी थी सड़कें सारी' कविताओं के माध्यम से कोविड महामारी की भयावहता को अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया। स्वामी विवेकानंद की तरह भगवा वस्त्र धारण करने वाले धार(मध्यप्रदेश) के वीर रस के कवि मुकेश मोलवा ने 'ये धरती है वीर शिवा और महाराणा प्रताप की' जैसी ओजस्वी कविताओं से देशभक्ति का ज्वार पैदा कर दिया। श्रोताओं ने खड़े होकर तालियाँ बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम का प्रारंभिक संचालन पर्यावरण प्रेमी शिक्षक रमेशचंद्र वैष्णव ने किया। इस अवसर पर विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि, जाट समाज के पदाधिकारी और प्रबुद्धजन सहित सैकड़ों की संख्या में श्रोता मौजूद थे।

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