प्रकृति का सौंदर्य ही धरती का श्रंगार- विवेकानन्द गिरी
भुसावर (भरतपुर,राजस्थान/रामचंद्र सैनी) श्री रमेशचन्द गुप्ता सेवा समिति की ओर से आयोजित शिक्षाविद्व ओमप्रकाश गुप्ता का सम्मान कार्यक्रम में हरिद्वार जुना अखाडा के महामण्डलेश्वर विवेकसनन्द गिरी ने बोलते हुए कहा कि धरती का श्रंगार ही प्रकृति है,जिसके साथ छेडछाड करने ईश्वर के साथ धोखा देना है,जब भी धरती पर प्रकृति के साथ खिलवाड हुई,तभी धरती पर अनेक कष्ट आए,हमको धरती एवं उसके श्रंगार का संरक्षण करना चाहिए,तभी ईश्वर के प्रकोप से बचा जा सकता है। उन्होने कहा कि भारत संस्कृति एवं प्रकृति की झलक देखने को विदेशी लोग ही नही देवी-देवता भी तरसते है,यहां की संस्कृति देशभक्ति,समाजसेवा,परिवार कल्याण,अहिंसा,शान्ति का ज्ञान देती है,हमे भारतीय संस्कृति एवं भारत के महापुरूषों की जीवनी से ज्ञान लेना होगा और विदेशी संस्कृति का त्याग कर भारतीय संस्कृति से लगाव रखना होगा,तभी हमारा जीवन सफल होगा। पूर्व सांसद रामस्वरूप कोली ने कहा कि सन्तसेवा,मानव सेवा एवं देशभक्ति ही इंसान का सबसे बडा धर्म होता है,जिसको स्वयं की जन्मस्थली एवं देश से प्यार है,वह इंसान सर्वश्रेष्ठ की श्रेणी में आता है। पूर्व जिला प्रमुख द्वारिकाप्रसाद गोयल ने कहा कि भारत ज्ञान का भण्डार है,जिसकी खोज कर पहचान करे,तभी ज्ञान की प्राप्ति होगी। इस अवसर पर ओमप्रकाश गुप्ता,मनोज मित्तल,भरतलाल गुप्ता सरपचं,अंकुश गुप्ता,पंकज कुमार,हरीओम गुप्ता,लखनलाल,महेशचन्द गर्ग,विष्णु मित्तल आदि ने मौजूद रहे