जैन धर्म के दसवें तीर्थकर भगवान शीतलनाथ का मनाया गया जन्म व तप कल्याणक महोत्सव
डीग (भरतपुर, राजस्थान/ पदम जैन) जैन धर्म के दसवें तीर्थकर भगवान शीतलनाथ का जन्म व तप कल्याण महोत्सव पुरानी डीग स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में बड़े उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया गया! प्रातः मंदिर में भगवान का सामूहिक अभिषेक कर विश्व में शांति एवं समस्त विश्व के कल्याण के लिए शांति धारा कर सामूहिक पूजन किया गया!
इस मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष गोपाल प्रसाद जैन ने बताया कि भगवान शीतल नाथ का जन्म भद्रिकापुर में राजा दृष्टरथ की पत्नी माता सुनंदा के गर्भ से हुआ था इनका वर्ण मुवर्ग (सुनहरा) और चिन्ह श्रीवत्स था प्रभु शीतलनाथ जब माता के गर्भ में थे जब महाराज दृष्टरथ को बुखार हुआ था उनका शरीर ताप से जलने लगा था जब समस्त उपचार विफल हो गए तब महारानी के मात्र स्पर्श से महाराज बुखार से मुक्त हो गए एवं महाराज ने इसे अपनी होने वाली संतान का प्रभाव माना फलस्वरुप नामकरण के प्रसंग में उक्त घटना का वर्णन करते हुए महाराज ने अपने पुत्र का नाम शीतलता प्रदान करने वाला शीतलनाथ रखा!
भगवान शीतलनाथ के चरणों का चिन्ह श्रीवत्स है श्रीवत्स को क्षमा एवं धैर्य का प्रतीक भी बताया गया है इस गुण को धारण करने वाला ही महापुरुष बनता है सुख के अष्टमंगल में श्रीवत्स भी एक मंगल है जिसके हृदय पर श्रीवत्स होता है वह संसार का मंगल कल्याण करता है इस अवसर पर सुरेश जैन, राजेंद्र भगत, भारत भूषण, हरी बाबू, धर्मेंद्र जैन, वंश जैन, विकी जैन, शांति देवी, शकुंतला, लक्ष्मी, डोली सहित काफी महिलाएं एवं पुरुष मोजूद थे