पढ़ाई लिखाई की उम्र में दो जून की रोटी के लिए जोखिम से भरा करतब दिखा रहे बच्चे

छत्तीसगढ़ के परिवार ने बच्चों के साथ खैरथल में डाला डेरा

Jul 28, 2021 - 23:56
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पढ़ाई लिखाई की उम्र में दो जून की रोटी के लिए जोखिम से भरा करतब दिखा रहे बच्चे

खैरथल (अलवर,राजस्थान/ हीरालाल भूरानी) कहते हैं बचपन हर गम से अंजान होता है, लेकिन गरीबी की मार बहुत सारे बच्चों को छोटी उम्र में ही दो जून की रोटी कमाने के लिए ऐसे काम करने को बजबूर कर देती है।जिसे देखकर हम और आप हैरत में पड़ जाते हैं। पढ़ने लिखने की उम्र में कई बच्चे सड़कों पर जद्दोजहद करते देखे जा सकते हैं। सड़क के किनारे अक्सर छोटे मासूम बच्चे जिस तरह के कारनामे दिखाते मिल जाते हैं।वह आपके और हमारे वश की बात नहीं है। रस्सी पर करतब दिखाते इन बच्चों को जब आसपास से गुजरने वाले लोग देखते हैं तो पूरा खेल देखे वे यहां से नहीं निकल पाते। कस्बे के चालीस फुट रोड पर शनिवार की दोपहर चिलचिलाती धूप में रस्सी पर अपने करतब दिखाती करीब दस साल की बच्ची भी रोटी जुटाने की जद्दोजहद में अपने परिवार के साथ इस काम को अंजाम देती हुई नजर आई।

स्कूल जाने की उम्र में यह बालिका अपने सिर पर कलश रखें हाथों में लाठी लिए हवा में लहराती रस्सी पर कई तरह की कलाबाजियां दिखाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही थी।वह कभी रस्सी पर दौड़ती तो कभी रस्सी पर अपने दोनों पैर साधते हुए नृत्य करती, रस्सी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक वह हवा में लहराते हुए एक लाठी के सहारे संतुलन बनाते हुए पहुंच जाती है।करतब दिखाने के बाद वह रस्सी से नीचे आकर लोगों की भीड़ में रुपए लेने पहुंच गई।खास बात यह है कि तीन सदस्यों का यह परिवार एक पुरानी साईकिल को मालवाहक की तरह बनाए हुए हैं और उसमें एक साउंड बाक्स के साथ करतब दिखाने वाली सामग्री रखे हैं। इसी वाहन पर बैठ कर पूरा परिवार यात्रा करता है। दो वक्त की रोटी के लिए बच्ची की जान जोखिम में डालते हैं।बच्ची के करतब दिखाने से लोगों द्वारा जो रुपए मिलते हैं उससे परिवार के सदस्यों का पेट पलता है।बच्ची की मां ने बताया कि एक दिन में उन्हें चार से पांच सौ रुपए मिल जाते हैं। बिलासपुर जिले से अपने परिवार के साथ खैरथल आई यह बच्ची कस्बे में अलग अलग स्थानों पर करतब दिखा कर पेट की खातिर अपनी जान जोखिम में डालती है।बच्ची की मां ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर परसादी गांव की रहने वाली है। उनके साथ उनका एक बेटा सूरज भी साथ में है।पूरा परिवार ऐसे ही खानाबदोश की तरह एक शहर से दूसरे शहर घूमते और करतब दिखाते हुए आगे बढ़ते जाते हैं।पेट की भूख मिटाने जान जोखिम में डालकर शनिवार को चिलचिलाती धूप में एक नाबालिग लड़की सिर पर कलश रखें हाथों में लाठी लिए रस्सी पर चलकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती रही।

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