सूबे की गहलोत सरकार ,राहत पैकेज देने की बजाय आगामी एक जून से बिजली कनेक्शन काटने के फरमान भी जारी
सूबे की गहलोत सरकार ,राहत पैकेज देने की बजाय मजदूरों को देगी बिजली का तगड़ा झटका आगामी एक जून से बिजली कनेक्शन काटने के फरमान भी जारी लॉक डाउन में श्रमिकों की हितेषी बनने वाली सरकार वसूलेगी मूल के साथ ब्याज
लॉक डाउन में श्रमिकों की हितेषी बनने वाली सरकार वसूलेगी मूल के साथ ब्याज
कोरोना महामारी में प्रदेश की गरीब जनता के घरों में सभी जरूरतमंदों को राशन पहुंचाने में असफल हुई राज्य की गहलोत सरकार अब बिजली उपभोक्ताओं को बिजली का करंट देकर आग में घी डाल कर मजदूरों के साथ कुठाराघात कर उनकी गरीबी को सार्वजनिक कर तार तार करने वाली है।लॉक डाउन में भ्रम फैलाकर श्रमिकों की बनावटी और दिखावटी हितेषी बनकर गुमराह करने वाली सूबे की सरकार ने पहले प्रवासी मजदूरों को अव्यवस्था का शिकार बनाकर प्रदेश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था अब प्रदेश की ही उस मजदूर। वर्ग की भावनाओं और आस को चकनाचूर करने वाली है जो प्रदेश की गरीब जनता अभी तक अपनी दो वक्त की रोटी की सही तरीके से व्यवस्था भी नहीं कर पाई है।
दरअसल जयपुर डिस्कॉम प्रबंधन ने एक आदेश जारी कर स्प्ष्ट किया है कि लॉक डाउन में तीन माह का बिजली बिल स्थगित किया गया था न कि माफ किया गया।लॉक डाउन में बिजली बिल जमा नहीं कराने वाले मजदूर उपभोक्ताओं को अब तीन महीने का बिल एक साथ भरना ही पड़ेगा।यही ही नहीं 31 मई तक बिल नहीं जमा कराने पर तीन महीने की बिलिंग राशि पर दो फीसदी पेलनटी भी जबरन वसूली जाएगी।बकाया राशि होने पर जून के पहले सप्ताह से बिजली कनेक्शन भी काटने की प्रक्रिया शुरू कर तपती गर्मी में झुलसने पर मजबूर कर देगी।
असल में प्रवासी मजदूरों का रेल टिकट के पैसे देने का गुणगान करने वाली पार्टी की करनी और कथनी में फर्क साफ झलक रहा है।माना कांग्रेस पार्टी से ट्रैन टिकट की रकम देने में चूक हो गई लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रदेश की गरीब जनता को अभी भी बिजली के बिलों को लेकर राहत देने की गुंजाइश बाकी है।टिकट राशि को मजदूरों के बिजली बिलों में समायोजन कर मजदूर वर्ग को बड़ी राहत दी जा सकती है।सनद रहे प्रियंका वाड्रा यूपी सीएम योगी से यूपी की जनता के बिजली बिल माफ करने की वकालत कर रही है वही दूसरी तरफ राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार से बिजली बिल माफ करने को लेकर खामोश है।कांग्रेस का यही दोहरा चरित्र प्रदेश की जनता को अब रास नहीं आ रहा है।
असल में दलित और अल्पसंख्यक वर्ग को हमदर्दी दिखाकर लगातार गुमराह कर सत्ता हासिल करने वाली पार्टी ने कोरोना महामारी में भी मजदूर वर्ग के वोटबैंक को साधने का भरसक प्रयास करते हुए राजनीति शुरू की थी। मजदूरों के प्रति दिखावटी -बनावटी हमदर्दी दिखाकर सहानुभूति बटोरने के असफल प्रयास का नतीजा यह हुआ कि गाड़ियों के नंबर फर्जी निकलने पर मजदूरों की पार्टी से हमदर्दी तो हुई नहीं बल्कि पार्टी की लगातार गिरती साख को एक बार फिर तगड़ा झटका लग गया।
बहरहाल कोरोना महामारी में दलित,वंचित आर्थिक रूप से बदहाल हुई मजदूर जनता को समय की आवश्यकता को देखते-समझते हुए गहलोत सरकार को अपने खजाने को भरने या फिर बिजली कंपनियों को खुली छूट देने की बजाए प्रदेश वासियों को बिजली -पानी के बिलों को माफ नहीं करने की अवस्था में कम से कम रिजर्व बैंक की ओर से ईएमआई को लेकर दी गई राहत की तरह ही कुछ समय के लिए बिजली-पानी के बिलों को लेकर भी राहत अवश्य देने के लिए निर्णय लेना ही चाहिए।
राजीव श्रीवास्तव की कलम से