ब्रज के पर्वतों पर हो रहे विनाशकारी खनन के खिलाफ भागवत कथा में हरिनाम के साथ गूंजी आंदोलन को तीव्र करने की हुंकार
साधु-संतों व ग्रामीणों के धरना आज 31वे दिन भी रहा जारी
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/पदम जैन) आदिबद्री व कंकाचल पर्वतीय क्षेत्र में हो रहे विनाशकारी खनन के विरोध में गांव पसोपा में 16 जनवरी से चल रहे अनिश्चतकालीन धरने के 31वे दिन बड़ी संख्या में साधुसंत ओर ग्रामीण धरने पर बैठे। सोमवार को धरना स्थल पर आयोजित भागवत कथा में हरिनाम कीर्तन के साथ मंच से पूर्व विधायक गोपी गुर्जर व उनके साथ उपस्थित गुर्जर नेताओं ने आदोंलन को तेज करने की हुंकार भरी । उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को होने वाली किसान पंचायत में केवल किसान ही नहीं अपितु राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात के अखिल भारतीय गुर्जर समाज के नेता भी भाग लेंगे । उन्होंने कहा कि आज धरने को 31 दिन हो गए लेकिन भरतपुर के जिलाधिकारी की ओर से इस संबंध में किसी भी प्रकार की कार्यवाही की गई है औऱ ना ही कोई कार्यप्रगति हमारे समक्ष रखी गई है । इससे लगता है कि प्रशासन ने भी रसूकदार खनन माफियाओं को अनैतिक लाभ पहुंचाने के लिए खुली छूट दे दी है। उन्होंने इस सवेंदनशील मुद्दे पर सरकार की चुप्पी पर भी खेद जताया । सोमवार को कथा प्रसंग में साध्वी गोरी ने भागवत के श्लोको की व्याख्या करते हुए प्रशासन को धर्मसंगत हो कर, न्यायोचित कार्य करने की सलाह दी व उन्होंने बताया कि सनातन धर्म ने सदा से ही प्रकृति व पर्यावरण के संरक्षण को सबसे उच्चे स्थान पर रखा है । उन्होंने कहा कि अगर हम प्रकृति के विपरीत कार्य करेंगे तो हमारे व्यक्तिगत व सार्वजनिक जीवन मे तीनों प्रकार के सकंट अवश्य आएंगे।
इस मौके पर संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने कहा कि स्थानीय जनमानस व ब्रज के पौराणिक स्थलों, पवतों एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए जून 2012 में भरतपुर के तत्कालीन जिला कलेक्टर गौरव गोयल द्वारा कन्कांचल पर्वत पर खनन कार्य बंद करने के लिए पर्वत से लगे 14 ग्रामों जोधपुर, मुन्गसका, समसलका,उभाका, अमरुका, सतवाडी, तिलकपुरी, मल्लाका, भैन्सेडा, बुराना, कैथवाडा, करुआ, दादंडी एवं मान्दौर को खनन गतिविधियों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित करने व उपरोक्त में से 5 ग्राम मून्गसका समसलका, मल्लाहाका, करुआ व भैन्सेडा को सघन वृक्षारोपण हेतु वन विभाग में स्थान्तरित करने की अनुशंषा की गयी थी, उस पर भी राज्य सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हुई | उन्होंने बताया कि यहाँ तक कि दिनांक 10 मार्च 2014 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी ) में तत्कालीन जिलाधिकारी, भरतपुर द्वारा राज्य सरकार की ओर से दिए गए अपने शपथ पत्र में स्वयं राज्य सरकार ने पहाडी तहसील के उपरोक्त गाँवों को ब्रज क्षेत्र, जिसका अत्यधिक धार्मिक महत्व है, का अभिन्न हिस्सा माना है व यहाँ के पर्यावरण व भौगोलिकता की सुरक्षा के लिए खनन गतिविधियों पर प्रतिबन्ध की बात प्रस्तुत करी थी ।
वहीं ककराला सरपंच जलाल खान व सरपंच सुल्तान सिंह ने कहा की मंगलवार से खनन पत्थर ले जाने के लिये गलत रूप से प्रयोग में आ रहे मार्गो को रोकने का अभियान पूरी ताकत से शुरू किया जाएगा । धरना प्रदर्शन के अवसर पर सेकड़ो ग्रामीणों के अलावा प्रमुख रूप से आदिबद्री महंत शिवराम दास, सत्यप्रकाश यादव, सरपंच विजयसिंह, निहाल, देवीराम, जीतराम, बदले सिंह, सूरजमल, एडवोकेट कुलदीप बैंसला, गोपाल दास, कृष्ण दास बाबा, ब्रजकिशोर बाबा, कृष्ण चैतन्य बाबा आदि मोजूद थे ।