जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो -श्याम बाबा
खैरथल (अलवर, राजस्थान/ हीरालाल भूरानी) बाबा आयाराम दरबार सरदार नगर अहमदाबाद के गद्दी नशीन संत जीवण राम उर्फ श्याम बाबा ने कस्बे के विजय पार्क में आयोजित सत्संग समारोह में अपने प्रवचन देते हुए कहा कि जिन्होने तन व मन से परमात्मा स्वरूप सत् गुरू से प्रेम किया उन्होने अपने सत् गुरू व परमात्मा को पा लिया यानि अपने इस मानुष जन्म का उद्देश्य पूरा कर लिया।
सत् गुरू द्वारा दिया गया नाम हमारे जीवन का रूख बदल देता है। मन मे हर एक तरह से तृप्ति आ जाती है।मृत्यु पश्चात यही नाम हमारी पग पग पर रक्षा करता है।
जहां जीव को भूख व प्यास तड़पाती है वहां यही नाम जीव को भूख व प्यास से तृप्त कर देता है। जहां घूप अंधेरा हो वहां यह रोशनी बन जाता है। हर अज्ञानता से ज्ञान की और ले जाने की पूरी क्षमता रखता है ये नाम।
सत् गुरू द्वारा दिया नाम जीव को कभी अकेला नही छोड़ता। मोमबत्ती को जलाओ तो वो थोड़ी देर जल कर बुझ जाती है परन्तु सत् गुरू द्वारा जलायी बत्ती हमेशा तीसरे तिल पर मौजूद रहती है। जहां सगे संम्बन्धी हमारा साथ छोड़ देते है वहां यह नाम ही हमारा सहाई होता है। परमात्मा का शब्द संचखण्ड से गूजंता हुआ हमारे कानो तक सत् गुरू की दया मेहर से ही पहुचता है।
जिसे सुनकर जीव की रूह पुकार उठती है कि मै सोहं हूं यानि मै परमात्मा की अंश आत्मा हू सही मायने मे उस समय जीव अपने आप को पहचानने के काबिल बन जाता है। शब्द की धारा को पकड़ कर जीव अपने निज घर पहुंच जाता हैऔर संचखण्ड का अधिकारी बन जाता है। जब तक जीव संचखण्ड तक नही पहुॅचता तब तक सत् गुरू शिष्य की रहनुमाई करते रहते है। पग पग पर जीव की सम्भाल करते है। सत्संग समारोह में कस्बे के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सत्संग अमृत रस का पान किया। प्रवचन समापन उपरांत प्रसाद वितरण किया गया।