ब्रज के पर्वतों को बचाने के लिए पसोपा गांव की 5 महिलाएं क्रमिक अनशन पर बैठी
आंदोलन के प्रतिनिधि मंडल ने किया प्रदेश भर के संतो से संपर्क, संतो ने ब्रज के पर्वतों के संरक्षण को बताया आवश्यक
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) आदिबद्री कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त कराने के लिए जारी धरने के 214 दिन बुधवार को धरना स्थल पर ग्रामीणों ने इस मुहिम को ब्रज की सच्ची सेवा का दर्जा देते हुए महिलाओं ने आगे आकर अपनी संपूर्ण सहभागिता प्रदर्शित की। बुधवार को पसोपा गांव की महिलाएं विरमा देवी, शांति देवी, वेदों देवी एवं फूलवती क्रमिक अनशन पर बैठी । और यह संदेश दिया की ब्रज के पर्वतों की सुरक्षा के इस आंदोलन में ब्रज की महिलाएं भी पीछे नहीं है। हर संघर्ष में वे साधु संतों व आंदोनकारियों के साथ है।आंदोलनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने महन्त शिवरामदास दास के नेतृत्व में ब्रज क्षेत्र व प्रदेश भर के प्रमुख साधु-संतों से आंदोलन को लेकर संपर्क किया, जिनमें प्रमुख रूप से जोधपुर के संत रामप्रसाद महाराज सुरसागर,रामद्वारा आश्रम,सैनाचार्य स्वामी अचलानँदगिरी महाराज पीठाश्रव सैन भक्ति पीठ जोधपुर, जयपुर के बालगोपाल दास महाराज, अवधेशानंद महाराज, सियाराम दास महाराज, वृंदावन के महामंडलेश्वर चितप्रकाशानंद, नवल गिरी, आदित्यनाथ महाराज, हरि बोल बाबा, रामेश्वर दास, भुवनेश्वर दास, बृज बिहारी महाराज, कमलदास महाराज, निंबार्कआचार्य श्रीजी महाराज, रामदेवास्वरूप महाराज, रामानंद जी महाराज रामस्वरूपानंद महाराज आदि प्रमुख संत शामिल थे । सभी संतो ने ब्रज के पर्वत आदिबद्री व कनकाचल को संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक बताया साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए एवं साधु संतों व करोड़ों कृष्ण भक्तों की भावना को देखते हुए अविलंब ब्रज के दोनों प्रमुख पर्वतों को खनन मुक्त कर संरक्षित करें । बुधवार को बरसाना में मान मंदिर के ब्रजदास के नेतृत्व में सैकड़ों गौ रक्षकों ने आंदोलन की सक्रिय सदस्यता ग्रहण कर ब्रज के गोचर पर्वतों की रक्षा के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता प्रदर्शित की एवं हर संघर्ष के लिए पूर्णतः तत्तपर रहने की बात कही । इस अवसर पर संत सर्वेश्वर दास, मोहित चौधरी, किशन, बब्ब्लू सिंह, राकेश, अधिवक्ता विश्वेन्द्र, भरत, सीताराम भगत आदि प्रमुख रूप से उपस्थिति रहे। सक्रिय सदस्यता अभियान के अंतर्गत बुधवार को ब्रज क्षेत्र के उँच्चागांव, सुनहरा, पलसों, नीमगांव, मानपुर, गाजीपुर आदि गावों में सभाएं कर 400 से अधिक सक्रिय सदस्य आंदोलन से जोड़कर उन्हें ग्राम सचिव बनाया गया।