बचपन में हुई माता-पिता की मृत्यु संघर्षपूर्ण जीवन से गुजरते हुए सुनील मीना का हुआ आरएएस में चयन
संघर्षपूर्ण जीवन से गुजरते हुए कक्षा-12 मे 90.44% अंक प्राप्त किए व कक्षा-11 मे ही मजबूरन अनावडा की सुमन मीना से विवाह करना पडा राजगढ (कलेशान) के सुनील मीना ने आरएएस मे जनरल रैक 929 व एसटी वर्ग मे 17 वी रैक प्राप्त की
रैणी (अलवर,राजस्थान/महेश चन्द मीना) राजगढ के कलेशान गांव के गरीब परिवार से गुजरे हुए सुनील कुमार मीना ने अपने छोटे से जीवन मे ही परिस्थिति के उपर परिस्थितयो से गुजरते हुए राजस्थान प्रशासनिक सेवा मे एसटी वर्ग से 17 वी रैक हासिल की है। अपने माता पिता की 5 संतानो मे आखिरी संतान था और इसने 6 वर्ष की उम्र मे ही अपने बडे भाई को भी खो दिया था तथा 13 वर्ष की उम्र मे माताजी को भी खो दिया , अपनी बडी बहिनो की शादी कर देने के कारण बेचारे सुनील मीना को ही अपने हाथो से अपनी रोटी व पिताजी की सेवा करनी पडती तथा घर का पूरा कामकाज भी।
फिर भी हिम्मत नही हारा और परिस्थिति अति विषम होने के कारण 11 वी कक्षा मे ही इनका विवाह अनावड़ा गांव की सुमन मीना से हो गया तो कुछ थोडा राहत मिला और 12 वी कक्षा मे मनरेगा कार्य करते हुए भी 90.44 प्रतिशत अंक प्राप्त किए उसके बाद इनको पटवारी की नौकरी मिली लेकिन सिविल सर्विस लक्ष्य को ध्यान मे रखते हुए पटवारी की जोइन नही की और फिर बाद मे घर की स्थिति को ध्यान मे रखकर 2015 मे इनकम टैक्स निरीक्षक की नोकरी जोइन कर ली तथा वर्तमान मे आखिरकार अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हुए आर ए एस बन ही गये , वर्तमान मे इनके परिवार मे बेटा 12 वर्ष का प्रिन्स व धर्मपत्नी सुमन मीना सहित तीन सदस्य है , पत्नी सुमन मीना ने भी सुनील मीना को कन्धे से कन्धे मिलाकर भरपूर सहयोग किया है , इस कामयाबी का श्रेय अपने पिताजी के आशिर्वाद व साथियो का सहयोग तथा गुरूजनो का आशिर्वाद ही मानते है , यह युवाओ के लिए एक प्रेरणास्पद कहानी भी है कि जीवन मे समस्याओ से घबराना नही चाहिए बल्कि उनका सामना करना चाहिए।